मुइज्जू की हठधर्मिता

मुइज्जू अपने देश को आंतरिक कलह और आर्थिक संकट की ओर लेकर जा रहे हैं

मालदीव को मुइज्जू की चीन से नजदीकी की भविष्य में बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है

मालदीव की संसद में 'झड़पें' और महाभियोजक पर रास्ते में 'हमले' जैसी घटनाएं राष्ट्रपति मुइज्जू की अकुशलता और अदूरदर्शिता का परिणाम हैं। चीन से 'दोस्ती' निभाने की कोशिश में मुइज्जू अपने देश को आंतरिक कलह और आर्थिक संकट की ओर लेकर जा रहे हैं। जब मालदीव की संसद में मंत्रिमंडल में चार सदस्यों को मंजूरी देने पर हुए 'मतभेद' का वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ तो ऐसा लग रहा था कि यह गली-मोहल्ले के किसी 'झगड़े' का दृश्य है! वहीं, मालदीव के महाभियोजक हुसैन शमीम पर उस समय हथौड़े से हमला किया गया, जब वे अपने बच्चे को स्कूल छोड़कर लौट रहे थे। इसे पूर्व नियोजित हमला बताया जा रहा है, जिसमें महाभियोजक के बाएं हाथ की हड्डी भी टूट गई! मुइज्जू के राज में अशांति और मारधाड़ का वातावरण बन रहा है, जो इस देश की अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है, चूंकि इसकी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर टिकी है। जब संसद भवन में इस तरह मुक्के बरसाए जाएंगे और शीर्ष अधिकारी की हथौड़े से हड्डियां तोड़ी जाएंगी तो पर्यटकों में यही संदेश जाएगा कि मालदीव भी पाकिस्तान या अफगानिस्तान की तरह अशांति की ओर चल पड़ा है। हाल के वर्षों में वहां कट्टरपंथ बढ़ा है। विदेशी पर्यटकों के खानपान, पहनावे और पश्चिमी संस्कृति से जुड़े त्योहारों को लेकर कई तरह के ऐतराज जताए गए हैं। मालदीव का बुद्धिजीवी वर्ग जानता है कि अगर यहां कट्टरपंथियों के प्रभाव में आकर पाबंदियां लगाई गईं तो पर्यटकों का आना लगभग बंद हो जाएगा, कमाई खत्म हो जाएगी। इसलिए सरकारें भी खामोश रहीं।

अब मुइज्जू चीन के इशारे पर मालदीव का बंटाधार करने को आमादा हैं। मालदीव के दो प्रमुख विपक्षी दलों मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) और डेमोक्रेट पार्टी ने भारत को 'सबसे पुराना सहयोगी' बताते हुए अपनी सरकार के 'भारत विरोधी रुख' पर चिंता जताई है। मुइज्जू राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करते ही भारत आने के बजाय चीन चले गए थे। वे चुनाव प्रचार के दौरान ही 'चीनी कठपुतली' जैसा व्यवहार करने लगे थे। उन्होंने 'अनुसंधान और सर्वेक्षण कार्य' करने वाले एक चीनी जहाज ‘शियांग यांग होंग 3’ के मालदीव के बंदरगाह पर लंगर डालने और ईंधन भरने की अनुमति देने में जल्दबाजी दिखाई। यह जहाज कहने को तो 'अनुसंधान पोत' है, लेकिन चीन की मंशा किसी से छिपी नहीं है। वह ऐसे जहाजों का इस्तेमाल जासूसी के लिए करता है। स्पष्ट है कि भारत की ओर से इस पर कड़ी नजर रखी जाएगी, क्योंकि यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा विषय है। चीन चाहता है कि वह मालदीव में अपना प्रभाव बढ़ाए। चूंकि यह देश (मालदीव) लक्षद्वीप के मिनिकॉय द्वीप से सिर्फ 70 समुद्री मील और मुख्य भूमि के पश्चिमी तट से 300 समुद्री मील की दूरी पर स्थित है। अगर चीन यहां अपना 'ठिकाना' बनाने में कामयाब रहता है तो यह भारत की सुरक्षा के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। यह इलाका हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) से गुजरने वाले वाणिज्यिक समुद्री मार्गों का केंद्र होने के कारण रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। हाल में मालदीव में एक किशोर को आपात चिकित्सा स्थिति के कारण एयर एंबुलेंस की सख्त ज़रूरत थी, लेकिन मुइज्जू की हठधर्मिता के कारण उस बच्चे की मौत हो गई। अब मालदीव चिकित्सा निकासी के लिए श्रीलंका से मदद मांग रहा है। अगर मुइज्जू को अपने देशवासियों की फिक्र होती तो वे भारत से संबंध नहीं बिगाड़ते। भारत के चिकित्सकों ने मालदीव के कितने ही लोगों का जीवन बचाया है। मुइज्जू जिस चीन के इशारों पर काम कर रहे हैं, उसने आजतक मालदीव को क्या दिया और कितने लोगों का जीवन बचाया? मालदीव को मुइज्जू की चीन से नजदीकी की भविष्य में बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

About The Author: News Desk