नई दिल्ली/दक्षिण भारत। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को चुनावी बाॅण्ड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह संविधान के तहत सूचना के अधिकार और भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो अलग-अलग, लेकिन सर्वसम्मत फैसले सुनाए।
फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि बैंक तत्काल चुनावी बाॅण्ड जारी करना बंद कर दें। आदेश के अनुसार, एसबीआई राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए चुनावी बाॅण्ड का ब्योरा पेश करेगा। न्यायालय ने कहा है कि एसबीआई भारत के चुनाव आयोग को विवरण प्रस्तुत करेगा और आयोग इन विवरणों को वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।
चुनावी बाॅण्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर याचिकाकर्ता जया ठाकुर ने कहा कि आरटीआई हर नागरिक का अधिकार है। कितना पैसा और कौन लोग देते हैं, इसका खुलासा होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि साल 2018 में जब इस चुनावी बाॅण्ड योजना का प्रस्ताव रखा गया था तो इस योजना में कहा गया था कि आप बैंक से बाॅण्ड खरीद सकते हैं और जो पैसा पार्टी को देना चाहते हैं, उसे दे सकते हैं, लेकिन आपका नाम उजागर नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह सूचना के अधिकार के विरुद्ध है और इसका खुलासा किया जाना चाहिए। इसलिए मैंने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की, जिसमें मैंने कहा कि यह पारदर्शी होना चाहिए और उन्हें नाम और राशि बतानी चाहिए, जिन्होंने पार्टी को राशि दान की थी।
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि चुनावी बॉण्ड योजना नागरिकों के यह जानने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है कि राजनीतिक दलों को कौन धन दे रहा है। कंपनियों द्वारा राजनीतिक दलों को दिए जा रहे असीमित योगदान पर भी प्रहार किया गया है।