वाराणसी/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वाराणसी के बीएचयू में सांसद संस्कृत प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि काशी तो सर्वविद्या की राजधानी है, आज काशी की वो सामर्थ्य और स्वरूप फिर से संवर रहे हैं। यह पूरे भारत के लिए गौरव की बात है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में काशी में विकास के जो कार्य हुए हैं, काशी के बारे में संपूर्ण जानकारी पर आज यहां दो बुक भी लॉन्च की गई है। पिछले 10 वर्षों में काशी ने विकास की जो यात्रा तय की है, उसके हर पड़ाव और यहां की संस्कृति का वर्णन इस बुक में भी किया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सब तो निमित्त मात्र हैं, काशी में करने वाले तो महादेव हैं। जहां महादेव की कृपा हो जाती है, वह धरती ऐसे ही संपन्न हो जाती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था, जब भारत की समृद्धि गाथा पूरे विश्व में कही जाती थी। इसके पीछे भारत की केवल आर्थिक ताकत ही नहीं थी। इसके पीछे हमारी सांस्कृतिक समृद्धि भी थी, सामाजिक और आध्यात्मिक समृद्धि भी थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी जैसे हमारे तीर्थ और विश्वनाथ धाम जैसे हमारे मंदिर ही राष्ट्र की प्रगति की यज्ञशाला हुआ करती थीं। यहां साधना भी होती थी और शास्त्रार्थ भी होते थे। यहां संवाद भी होते थे और शोध भी होते थे। यहां संस्कृति के स्रोत भी थे और साहित्य संगीत की सरिताएं भी थीं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी शिव की भी नगरी है, यह बुद्ध के उपदेशों की भी भूमि है। काशी जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली भी है और आदि शंकराचार्य को भी यहां से बोध मिला था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरे देश से और दुनिया के कोने-कोने से भी ज्ञान, शोध और शांति की तलाश में लोग काशी आते हैं। हर प्रांत, हर भाषा, हर बोली, हर रिवाज के लोग काशी आकर बसे हैं। जिस स्थान पर ऐसी विविधता होती है, वहीं नए विचारों का जन्म होता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी तमिल संगमम और गंगा पुष्करालु महोत्सव जैसे 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' अभियानों का भी विश्वनाथ धाम हिस्सा बना है। नई काशी नए भारत की प्रेरणा बनकर उभरी है। मैं आशा करता हूं कि यहां से निकले युवा पूरे विश्व में भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति के ध्वजवाहक बनेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे ज्ञान, विज्ञान और अध्यात्म के उत्थान में जिन भाषाओं का सबसे बड़ा योगदान रहा है, संस्कृत उनमें सबसे प्रमुख है। भारत एक विचार है, संस्कृत उसकी प्रमुख अभिव्यक्ति है। भारत एक यात्रा है, संस्कृत उसके इतिहास का प्रमुख अध्याय है। भारत विविधता में एकता की भूमि है, संस्कृत उसका उद्गम है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले पांच वर्षों में देश इसी आत्मविश्वास से विकास को नई रफ्तार देगा, देश सफलताओं के नए प्रतिमान गढ़ेगा और यह मोदी की गारंटी है। काशी तो संवरने वाली है ... सड़कें भी बनेंगी, पुल भी बनेंगे, भवन भी बनेंगे, लेकिन मुझे तो यहां जन-जन को संवारना है, हर मन को संवारना है और एक सेवक बनकर संवारना है, साथी बनकर संवारना है।