रिपोर्ट: यूक्रेन पर परमाणु हमला करना चाहते थे पुतिन, मोदी के हस्तक्षेप से बदला इरादा!

साल 2022 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन पर परमाणु हमला करना चाहते थे

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वॉशिंगटन/दक्षिण भारत। रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है, लेकिन एक खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह युद्ध 'परमाणु हमले' में भी तब्दील हो सकता था। इसे टालने में भारत की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। 

सीएनएन ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी है। उसने बताया कि साल 2022 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन पर परमाणु हमला करना चाहते थे, लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के कारण उन्होंने अपना इरादा बदल दिया था। 

पुतिन अपनी सेना को लग रहे तगड़े झटकों से परेशान थे। इस बीच उन्होंने यूक्रेन पर परमाणु हमले की योजना बना ली थी। उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हस्तक्षेप​ किया, जिससे पुतिन ने अपने कदम वापस खींच लिए। अगर रूसी राष्ट्रपति यूक्रेन पर परमाणु हमला करने का आदेश दे देते तो उससे भयंकर तबाही मचती। हालांकि वह सिर्फ यूक्रेन तक सीमित नहीं रहती, क्योंकि उसकी प्रतिक्रिया में रूस को भी भारी खामियाजा भुगतना पड़ता।

पुतिन के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान 'यह युद्ध का समय नहीं', आज भी लोगों के जेहन में ताजा है। उन्होंने दोनों देशों से शांति की अपील की थी। प्रधानमंत्री के उस बयान की फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों समेत कई वैश्विक नेताओं ने तारीफ की थी।

उक्त रिपोर्ट बताती है कि साल 2022 में अमेरिकी अधिकारी खासे परेशान थे। दरअसल उन्हें आशंका थी कि जिस तरह रूस-यूक्रेन युद्ध में चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं, वे पुतिन को परमाणु हमला करने के लिए उकसा सकती हैं। 

उस समय यूक्रेनी सेना रूसी कब्जे वाले खेरसॉन की ओर बढ़ती जा रही थी। इससे पुतिन बहुत चिंतित थे। अगर यूक्रेनी सेना के आगे बढ़ने का सिलसिला जारी रहता तो न केवल वह इलाका रूस के हाथ से निकलता, बल्कि बड़ी तादाद में उसके सैनिकों को भी जान से हाथ धोना पड़ता। इसके मद्देनजर पुतिन परमाणु हमला कर सकते थे।

एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी की मानें तो खेरसॉन की स्थिति बता रही थी कि रूस की अग्रिम रक्षा पंक्तियां नष्ट हो सकती थीं। इससे रूस के हजारों सैनिकों का जीवन संकट में पड़ सकता था। इसके अलावा बाइडन प्रशासन के पास ऐसी सूचनाएं थीं, जो इस बात का संकेत दे रही थीं कि पुतिन परमाणु हमले की दिशा में आगे बढ़ सकते थे। गनीमत यह रही कि उन्होंने वह कदम नहीं उठाया।

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