नई दिल्ली/दक्षिण भारत। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जवाहरलाल नेहरू सरकार द्वारा लिए गए कुछ प्रमुख निर्णयों की बुधवार को आलोचना की और कहा कि किसी को इस 'पंथ पूजा' से बाहर निकलने की जरूरत है कि साल 1946 के बाद की अवधि 'महान वर्ष' थे और तब देश ने 'शानदार' प्रदर्शन किया था।
उन्होंने यहां एक कार्यक्रम के सत्र के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा, शुरुआती वर्षों में, जब विदेश नीति की बात आती थी तो यह काफी हद तक 'नेहरूवादी विचारधारा का बुलबुला' था और 'इसके अवशेष आज भी जारी हैं'।
राजनयिक से राजनेता बने जयशंकर ने कई मुद्दों पर बात की, जैसे जी20 की अध्यक्षता के दौरान भारत की भूमिका, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को लेकर आलोचना, अनुच्छेद 370 को निरस्त करना और वर्तमान में भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान संबंध और भूराजनीतिक परिदृश्य।
आजादी के बाद शुरुआती वर्षों में सरकार की विदेश नीति की विरासत के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, 'आपने पाकिस्तान को गलत पाया, आपने चीन को गलत पाया, आपने अमेरिका को सही पाया और हमारी विदेश नीति बहुत अच्छी थी। तो, उसे एक तरफ रख दें।'