कभी विदेशों को जीतने के लिए आक्रमण नहीं किया, खुद में सुधार करके कमियों पर विजय पाई: मोदी

प्रधानमंत्री ने भगवान महावीर निर्वाण महोत्सव को संबोधित किया

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नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यहां भगवान महावीर निर्वाण महोत्सव को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महावीर जयंती के इस शुभ अवसर पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देता हूं। चुनाव के समय में ऐसे पवित्र कार्यक्रम में शामिल होना मेरे दिल और दिमाग को अत्यंत शांति दे रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान महावीर का यह 2,550वां निर्वाण महोत्सव हजारों वर्ष का एक दुर्लभ अवसर है। ऐसे अवसर कई विशेष संयोगों को भी जोड़ते हैं। यह वो समय है, जब भारत अमृतकाल के शुरुआती दौर में है। देश आजादी के शताब्दी वर्ष को स्वर्णिम शताब्दी बनाने के लिए काम कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस साल हमारे संविधान को भी 75 वर्ष होने जा रहे हैं। इसी समय देश में एक बड़ा लोकतांत्रिक उत्सव भी चल रहा है। देश का विश्वास है कि यहीं से भविष्य की नई यात्रा शुरू होगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत न केवल विश्व की सबसे प्राचीन जीवित सभ्यता है, बल्कि मानवता का सुरक्षित ठिकाना भी है। यह भारत ही है, जो स्वयं के लिए नहीं, सर्वम् के लिए सोचता है। 
स्व की नहीं, सर्वस्व की भावना करता है। अहम् नहीं, वयम् की सोचता है। इति नहीं, अपरिमित में विश्वास करता है। नीति और नियति की बात करता है। पिंड में ब्रह्मांड की बात करता है। विश्व में ब्रह्म की बात करता है। जीव में शिव की बात करता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के लिए अमृत काल का विचार सिर्फ एक बड़े संकल्प के बारे में नहीं है, बल्कि यह हमें अमरता और शाश्वतता का एहसास कराने वाली भारत की आध्यात्मिक प्रेरणा भी है। यह हमारा दूरदर्शी दृष्टिकोण है, जो भारत को न केवल सबसे पुरानी जीवित सभ्यता बनाता है, बल्कि मानवता के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल भी बनाता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश की नई पीढ़ी को यह विश्वास हो गया है कि हमारी पहचान, हमारा स्वाभिमान है। जब राष्ट्र में स्वाभिमान का यह भाव जग जाता है, तो उसे रोकना असंभव हो जाता है। भारत की प्रगति इसका प्रमाण है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हर नए युग में नए विचार उभरते हैं। जब विचारों में ठहराव आ जाता है तो विचार बहस में बदल जाते हैं। जब विचारों से अमृत निकलता है तो वह हमें नवप्रवर्तन की ओर आगे बढ़ाता है। लेकिन जब विचार जहर उगलते हैं तो हम हर पल विनाश के बीज बोते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम कभी दूसरे देशों को जीतने के लिए आक्रमण करने नहीं गए। हमने स्वयं में सुधार करके अपनी ​कमियों पर विजय पाई है। इसलिए मुश्किल से मुश्किल दौर आए और हर दौर में कोई न कोई ऋषि हमारे मार्गदर्शन के लिए प्रकट हुआ। बड़ी-बड़ी सभ्यताएं खत्म हो गईं, लेकिन भारत ने अपना रास्ता खोज ही लिया।

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