रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सिलीगुड़ी में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए पीओके के बारे में जो बयान दिया, उसके गहरे मायने हैं। बेशक आज पीओके में हालात बदतर हो चुके हैं। जो लोग किसी भी कारणवश 'उस तरफ' रह गए, आज जब वे जम्मू-कश्मीर के बारे में पढ़ते-सुनते हैं तो अपनी किस्मत को कोसते हैं। पीओके को पाकिस्तान सरकार कोई सुविधा नहीं देती, जबकि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटने के बाद बड़े स्तर पर विकास कार्य हो रहे हैं। पीओके में महंगाई अत्यंत चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई है। वहीं, जम्मू-कश्मीर में तुलनात्मक रूप से चीजें काफी सस्ती हैं। पाकिस्तानी मीडिया ने दशकों तक पीओके के निवासियों के मन में भारत से नफरत का जहर भरा था। लोगों को इतना भ्रमित किया कि वे झूठ को ही हकीकत मान बैठे थे, लेकिन सोशल मीडिया के प्रचार-प्रसार ने कई भ्रम दूर कर दिए। खासतौर से यूट्यूब एक ऐसा मंच बनकर उभरा है, जिसने पीओके समेत पाकिस्तान के हर गांव-शहर में लोगों को सोचने को मजबूर कर दिया है। पीओके में कई परिवार ऐसे हैं, जिनके रिश्तेदार जम्मू-कश्मीर या लद्दाख में रहते हैं। वे उनसे रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इस्तेमाल होने वाली चीजों की कीमतें जानकर अपना सिर पकड़ लेते हैं, क्योंकि इससे उन्हें पता चलता है कि भारत से नफरत के नाम पर पाकिस्तान की सरकार और फौज ने उनकी जेबें काटने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। भारत में आलू, टमाटर, प्याज, मिर्च, गाजर, मूली जैसी सब्जियों और आटा, चावल, दाल, तेल, घी, चाय जैसी चीजों की कीमतें जानकर वे कहते हैं कि भारत, खासकर जम्मू-कश्मीर के लोग 'जन्नत' में रह रहे हैं। पीओके में लोग चौगुने दाम पर आटा लेने के लिए लाइनों में लगे हुए हैं, जबकि जम्मू-कश्मीर में भारत सरकार मुफ्त राशन दे रही है। ये चीजें दुकानों में सामान्य कीमतों पर सुलभ हैं।
अगर पीओके में ऐसे ही हालात रहे तो भविष्य में वहां जनता सड़कों पर उतरकर बुलंद आवाज में आज़ादी की मांग कर सकती है। ऐसा हो भी चुका है। वहां 'कारगिल हाईवे खोल दो' जैसे नारे लग चुके हैं। पीओके में सरकार और फौज की लूटमार के कारण भविष्य में महंगाई का तूफान आना तय है। खजाने की हालत खस्ता होने के कारण अगले एक दशक तक तो सड़क, पानी, बिजली, अस्पताल जैसी सुविधाओं के बेहतर होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। पीओके की आम जनता ही नहीं, सरकारी कर्मचारी तक गुजारा कर पाने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं। लोगों के दिलो-दिमाग में आक्रोश का लावा पक रहा है। जिस दिन यह फूटेगा, पाकिस्तान की सरकार और फौज इसे नियंत्रित नहीं कर सकेंगी। उस स्थिति में इन लोगों को एक ही आवाज उठानी होगी- 'हमें भारत में मिलना है!' जब कभी यह तस्वीर उभरकर सामने आएगी तो पाकिस्तान के लिए हालात विस्फोटक होंगे। हालांकि हमारे लिए भी कुछ चुनौतियां होंगी। आज यह कहा जा सकता है कि भारत में हो रहे विकास कार्यों को देखकर पीओके के लोग खुद भारत के साथ रहने की मांग करेंगे, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आज पीओके के लोग वे नहीं हैं, जो साठ-सत्तर के दशक तक हुआ करते थे। पाकिस्तान ने उस इलाके पर अवैध कब्जा करने के बाद आबादी की बसावट में बड़े बदलाव किए हैं। उसने (पाकिस्तानी) पंजाब से लोगों को लाकर पीओके में बसा दिया। इसके अलावा आतंकवादी संगठनों को वहां 'खास सुविधाएं' दीं। पाकिस्तान के फौजी और रेंजर्स भी वहां डेरा डाले हुए हैं। इन तीनों श्रेणियों के लोग भारत से बेहद नफरत करते हैं। इस तथ्य से हमें भलीभांति परिचित होना चाहिए। अगर एक भी व्यक्ति पाकिस्तान के पंजे से निकलकर यहां तिरंगे के साए में आना चाहता है तो सबसे पहले जरूरी है कि वह कट्टरता और नफरत का रास्ता छोड़े। जो व्यक्ति भारतीय संस्कृति और भारतीय आदर्शों को सच्चे हृदय से स्वीकार न करे, उसके लिए यहां कोई स्थान नहीं होना चाहिए।