एक पाकिस्तानी युवती की हृदय प्रत्यारोपण सर्जरी कर भारतीय चिकित्सकों ने मानवता की बड़ी मिसाल कायम की है। कराची में रहने वाले उसके परिवार के पास न तो पर्याप्त संसाधन थे और न ही उसे पाकिस्तान की सरकार से कोई उम्मीद थी। आखिरकार भारत सरकार उसके लिए मददगार बनकर आई और चेन्नई के अस्पताल में सर्जरी सफलतापूर्वक हो गई। भारत के खिलाफ दिन-रात जहर उगलने वाले पाकिस्तानी मीडिया से यह ख़बर गायब है। वह अब भी 'कश्मीर राग' अलापने में व्यस्त है, जबकि यूट्यूब चैनलों और सोशल मीडिया पर इसकी काफी चर्चा है। आम पाकिस्तानी को यह जानकर अचंभा हो रहा है कि भारत के चिकित्सकों ने कराची की युवती को नई ज़िंदगी दी! हालांकि भारत ने पहले भी कई बार ऐसी उदारता दिखाई है। पाकिस्तानियों ने अब तक अपनी पाठ्यपुस्तकों, टीवी चैनलों और धर्मगुरुओं से यही पढ़ा-सुना है कि भारत उनका सबसे बड़ा दुश्मन है, जिससे आपको हर हाल में नफरत ही करनी है। जबकि भारतीय चिकित्सकों ने जो काम किया है, वह तो 'इन्सानियत की ख़िदमत' वाला है। इस युवती को जल्द उपचार उपलब्ध कराना सुनिश्चित करने में भारत सरकार की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। उसने बड़ा दिल दिखाते हुए आपातकालीन वीजा दिया। अगर उसकी ओर से मामले को प्राथमिकता पर नहीं लिया जाता तो यह कार्य संभव नहीं होता। जब उस युवती ने कहा, 'मैं अब ठीक महसूस कर रही हूं ... मुझे वीजा देने के लिए मैं भारत सरकार को धन्यवाद देती हूं', तो पाकिस्तान की सरकार, फौज और कट्टरपंथियों पर घड़ों पानी पड़ गया! अगर ये लोग अपनी ऊर्जा और संसाधन पाकिस्तान के आम लोगों की भलाई पर खर्च करते तो उनका देश बहुत बेहतर स्थिति में होता।
आज आम पाकिस्तानी समझने लगा है और सोशल मीडिया पर बात करने लगा है कि उसकी दुर्दशा के लिए पाक सरकार, पाक फौज और कट्टरपंथी तत्त्व जिम्मेदार हैं। पाकिस्तान की जनता जो चार-पांच गुना ज्यादा दाम पर आटा, दाल, चावल, सब्जियां खरीद रही है, वह इन्हीं लोगों की 'करामात' है। उसके पड़ोस में दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो जल्द तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाली है, जबकि वे (पाकिस्तानी हुक्मरान) एक-एक अरब डॉलर के लिए कभी अमेरिका, कभी चीन, तो कभी आईएमएफ और विश्व बैंक के दरवाजे पर माथा टेक रहे हैं। अगर पाकिस्तान आतंकवाद का रास्ता छोड़ दे तो उसे अन्य देशों/संस्थाओं के सामने हाथ ही न फैलाना पड़े। उसे बांग्लादेश से कुछ सीखना चाहिए, जो वर्ष 1971 में उससे आज़ाद हुआ था और आज उसकी अर्थव्यवस्था (तुलनात्मक रूप से) बहुत बेहतर स्थिति में है। उसका पासपोर्ट मजबूत है। डॉलर के मुकाबले उसकी मुद्रा काफी हद तक स्थिर बनी हुई है। हालांकि बांग्लादेश में कई समस्याएं हैं, लेकिन उन सबके बावजूद यह उम्मीद ज़िंदा है कि वह भविष्य में बेहतर होता जाएगा। यह इसलिए संभव हुआ, क्योंकि बांग्लादेश हथियारों की होड़ में शामिल नहीं हुआ। उसने आतंकवाद पर भी काफी नियंत्रण रखा। उसकी अदालतों ने वर्ष 1971 के कई 'अपराधियों' को कठोर दंड दिया। वहीं, पाकिस्तान आतंकवादियों को अपने 'नायक' मानता है। उसकी सुई कुछ खास बिंदुओं पर ही अटकी हुई है। उसने कश्मीर हड़पने के ख्वाब देखते हुए जो ज़िद पाली, उससे खुद की अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क हो गया। अब हालत यह है कि न तो देश में कहीं शांति है और न कोई उम्मीद बची है। ऐसा कोई हफ्ता नहीं गुजरता, जब आतंकवादी हमले न होते हों। आम पाकिस्तानी किसी भी तरह से देश को छोड़कर भागना चाहता है। वहीं, पाक सरकार, फौज और कट्टरपंथी तत्त्व आम जनता को यह पट्टी पढ़ा रहे हैं कि भारत आपका दुश्मन है। वास्तव में पाकिस्तानी अपने दुश्मन खुद हैं। उन्होंने अक्ल और होश से काम लिया होता तो उनका देश दिवालिया होने के कगार पर नहीं होता। भारत ने सदैव मानवता की सेवा की है। वह भविष्य में भी इससे पीछे नहीं हटेगा। उसने 'सेवा से दिल जीता' है और जीतता रहेगा।