जिस मामले की वजह से इमरान ने गंवाई थी कुर्सी, उसमें आया नया मोड़!

इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि संघीय जांच एजेंसी के पास साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं है ...

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इस्लामाबाद/दक्षिण भारत। पाकिस्तान के बहुचर्चित साइफर मामले, जिससे उपजे हालात की वजह से इमरान खान को कुर्सी गंवानी पड़ी थी, में नया मोड़ आ गया है। 

इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के पास यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने गोपनीय राजनयिक केबल अपने पास रखी थी, और यह उनके कब्ज़े से गायब हो गई थी। 

मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक और न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब की खंडपीठ ने यह टिप्पणी की, जिसने साइफर मामले में उनकी सजा के खिलाफ खान और उस समय उनके विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई फिर से शुरू की थी।

इससे पहले, बचाव पक्ष के वकील बैरिस्टर सलमान सफदर ने न्यायालय को विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें साइफर के वितरण का विवरण था।

रिपोर्ट से पता चला कि पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख और मुख्य न्यायाधीश सहित साइफर के लगभग हर प्राप्तकर्ता ने इमरान खान के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद गोपनीय दस्तावेज वापस कर दिया।

जब विशेष अभियोजक हामिद अली शाह विदेश मंत्रालय से पीएम कार्यालय तक साइफर की आवाजाही के बारे में बता रहे थे, तो न्यायाधीश फारूक ने पूछा कि क्या अभियोजन एजेंसी एफआईए के पास कोई रिकॉर्ड उपलब्ध है, जो साबित करता है कि खान ने साइफर को बरकरार रखा है?

शाह ने जवाब दिया कि तत्कालीन प्रधान सचिव आजम खान ने अदालत के सामने गवाही दी कि साइफर पूर्व प्राानमंत्री खान को सौंप दिया गया था और कभी वापस नहीं किया गया।

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