जयपुर/दक्षिण भारत। राजस्थान में बाल विवाह की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए उच्च न्यायालय ने सख्त निर्देश दिए हैं। उसने राज्य सरकार से कहा है कोई बाल विवाह नहीं होना चाहिए। उसने कहा कि यदि ऐसा होता है तो ग्राम प्रधान और पंचायत सदस्यों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
उच्च न्यायालय का आदेश 10 मई को अक्षय तृतीया से पहले बुधवार को आया। राजस्थान में इस अवसर पर कई बाल विवाह होते हैं।
बाल विवाह को रोकने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय की खंडपीठ ने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 लागू होने के बावजूद राज्य में अभी भी बाल विवाह हो रहे हैं।
न्यायालय ने कहा कि हालांकि अधिकारियों के प्रयासों से बाल विवाह की संख्या में कमी आई है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
याचिकाकर्ताओं के वकील आरपी सिंह ने कहा कि न्यायालय को एक सूची भी प्रदान की गई थी, जिसमें अक्षय तृतीया के आसपास राज्य में होने वाले बाल विवाह का विवरण दिया गया था।