परमाणु बम और इज़्ज़त

पाकिस्तान द्वारा किया गया कोई एक काम बता दें, जिससे मानवता को रत्तीभर भी लाभ हुआ हो

पाकिस्तान ने दुनिया को सिरदर्द दिया है, मानवता को लहूलुहान किया है

चुनावी मौसम में सैम पित्रोदा ने अपनी बयानबाजी से कांग्रेस की खूब किरकिरी कराई। उन्हें इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा भी देना पड़ा। इतनी बड़ी घटना के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को चाहिए था कि वे वाणी के संयम का संकल्प लेते, खासकर उन नेताओं को तो संदेश भेजकर पाबंद कर देना चाहिए था, जो विधानसभा/लोकसभा चुनावों के दौरान अपने बड़बोलेपन से तूफान खड़ा कर देते हैं। मणिशंकर अय्यर ने एक साक्षात्कार में जिस तरह पाकिस्तान का जिक्र किया, उससे उन्हें इस पड़ोसी देश से खूब तारीफें मिल रही हैं। मिलें भी क्यों नहीं, आखिर उन्होंने अपने ही देश को सख्त नसीहत जो दे डाली - 'पाकिस्तान की इज़्ज़त करें ... क्योंकि उसके पास परमाणु बम है!' अय्यर ने कितने बड़े रहस्य का उद्घाटन कर दिया! निश्चित रूप से उनके द्वारा दी गई जानकारी से कई लोगों के ज्ञान में वृद्धि होगी! क्या अय्यर यह नहीं जानते कि इज़्ज़त कमाई जाती है, मांगी नहीं जाती? उसके लिए समाज, देश और मानवता के लिए कुछ सकारात्मक करना होता है। इसमें वर्षों लग जाते हैं। तब जाकर प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता जुड़ती हैं। पाकिस्तान द्वारा किया गया कोई एक काम बता दें, जिससे मानवता को रत्तीभर भी लाभ हुआ हो! यह देश अपने अस्तित्व में आने से पहले ही भयंकर खून-खराबे की वजह बना था। बंटवारे के दौरान लाखों लोग मारे गए थे। इसकी फौज ने पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में नरसंहार किया था। वहां भी लाखों लोग मारे गए थे, हजारों महिलाओं से दुष्कर्म हुआ था। इसने साजिशन अपने अल्पसंख्यकों को खत्म कर दिया। यह आतंकवाद का गढ़ है। ओसामा-बिन लादेन से लेकर हाफिज सईद, जकीउर्रहमान लखवी, दाऊद इब्राहिम, मसूद अजहर और कसाब जैसे आतंकवादी इसके 'नायक' हैं। इस देश ने दुनिया को सिरदर्द दिया है, मानवता को लहूलुहान किया है। परमाणु बम के नाम पर पाकिस्तान के लिए इज़्ज़त की पैरवी करना वैसा ही है, जैसे किसी सीरियल किलर का फूल मालाएं पहनाकर स्वागत करने के लिए कहना, क्योंकि उसके हाथ में चाकू है!

मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान के बारे में समय-समय पर जो भी बयान दिए, उन्हें सुनकर इस बात को लेकर विश्वास और दृढ़ हो जाता है कि वे कई ग़लत-फ़हमियों से घिरे हुए हैं। उन्हें लगता है कि पाकिस्तानी बड़े ही विश्वसनीय, शांतिप्रिय, मासूम लोग हैं और सारी कमियां हमारी ओर हैं, क्योंकि मौजूदा केंद्र सरकार इस पड़ोसी देश से बातचीत नहीं कर रही। अय्यर भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे हैं। वे इतना तो जानते ही होंगे कि हर सरकार ने अपने स्तर पर पाकिस्तान से संबंधों को सुधारने की कोशिश की है, लेकिन उन्हें बदले में धोखा मिला। अगर कारगिल युद्ध से लेकर संसद हमले, 26/11, पठानकोट, उरी, पुलवामा, पुंछ हमले की ही बात करें तो भारत के सैकड़ों लोगों की हत्या के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है। आश्चर्य की बात है कि कुछ साल पहले मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान के एक समाचार चैनल को साक्षात्कार देते हुए कह रहे थे कि 'हमें ले आइए, इनको हटाइए', क्योंकि उनका मानना था/है कि दोनों देशों के बीच बातचीत होती रहनी चाहिए! हमारे इतने देशवासियों के बलिदान के बाद भी अय्यर को उम्मीद है कि बातचीत के जरिए पाकिस्तान से संबंधों में सुधार हो जाएगा। अगर पाकिस्तान से बातचीत से ही संबंध सुधरने होते तो बहुत पहले सुधर जाते। क्या पिछली सरकारों, जिनमें अय्यर की पार्टी की सरकारें भी शामिल हैं, ने कम बातचीत की थीं? भारत के हर प्रधानमंत्री ने अपने-अपने कार्यकाल में पाकिस्तान के साथ शांति और मैत्री को बढ़ावा देने के प्रयास किए, लेकिन हमारे देश में आतंकवादी हमले होते रहे, क्योंकि पाक शांति नहीं चाहता। उसकी फौज 'ब्लीड इंडिया विद ए थाउजैंड कट्स' नामक सैन्य सिद्धांत पर काम कर रही है, जिसमें भारत को आतंकवाद, अलगाववाद, दुष्प्रचार, हवाला, नकली मुद्रा के प्रसार जैसे कई तरीकों से कमजोर करने की बातें कही गई हैं। इस स्थिति के रहते अय्यर शांति व मैत्री के कितने ही कबूतर उड़ा लें, पाकिस्तान का रवैया नहीं बदलने वाला।

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