अध्ययन का दावा: नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का दोहन करने में पिछड़ रहा है प. बंगाल

इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस के अध्ययन में यह बात कही गई है

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कोलकाता/दक्षिण भारत। स्वच्छ बिजली उत्पादन में पश्चिम बंगाल की प्रगति अन्य राज्यों की तुलना में धीमी रही है। इस साल फरवरी तक इसने अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का केवल आठ प्रतिशत ही दोहन किया था। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।

पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल की कुल बिजली खपत में से नवीकरणीय ऊर्जा खपत में पूर्वी राज्य की हिस्सेदारी सिर्फ 10 प्रतिशत है। अमेरिका स्थित शोध संगठन इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) और स्वच्छ ऊर्जा थिंक टैंक एम्बर के संयुक्त अध्ययन में यह बात कही गई है।

इसमें कहा गया है कि साल 2023 में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले कर्नाटक और गुजरात ने साल 2024 में अपना मजबूत प्रदर्शन बनाए रखा, जबकि पूर्वी राज्य और छत्तीसगढ़ पिछड़ गए।

अध्ययन में कहा गया है, 'फरवरी 2024 तक पश्चिम बंगाल ने अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता (बड़ी पनबिजली को छोड़कर) का केवल 8 प्रतिशत (लगभग 636 मेगावाट) का उपयोग किया है।'

उसने कहा कि धीमी प्रगति के बावजूद, राज्य में स्वच्छ ऊर्जा के दोहन के लिए महत्त्वपूर्ण अप्रयुक्त क्षमता है, जो पश्चिम बंगाल के लिए एक सुनहरा अवसर हो सकता है। नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश और बढ़ावा देकर, राज्य अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम कर सकता है, रोजगार के अवसर पैदा कर सकता है और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है।

अधिकारियों ने कहा कि पश्चिम बंगाल ने अपनी नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं। साल 2023 में, इसने पश्चिम बंगाल राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा संचालित 900-मेगावाट पुरुलिया पंप्ड स्टोरेज परियोजना के अलावा, 900-मेगावाट पंप वाली हाइड्रो स्टोरेज परियोजना स्थापित करने के लिए बोलियां आमंत्रित कीं।

उन्होंने कहा कि साल 2030 तक राज्य का लक्ष्य अपनी 20 प्रतिशत बिजली नवीकरणीय स्रोतों से पैदा करना है।

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