पश्चिमी देशों समेत इज़राइल के साथ तनातनी के बीच ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का हेलीकॉप्टर हादसे में निधन होना इस देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है। रईसी उन नेताओं में से थे, जो अपने करियर के शुरुआती दिनों से ही प्रभावशाली लोगों के करीबी माने जाते थे। वे ईरान में क्रांति के नेता खुमैनी के आंदोलनों में भी जोर-शोर से शामिल हुए थे। उनके साथ कई बड़े विवाद जुड़े रहे, जिन्होंने राष्ट्रपति बनने पर भी उनका पीछा नहीं छोड़ा था, लेकिन अब वे बातें इतिहास का हिस्सा बन गई हैं। रईसी का हेलीकॉप्टर जिस तरह हादसे का शिकार हुआ, उससे कई सवाल पैदा होते हैं। अभी हादसे की वजह 'खराब मौसम' सामने आई है। क्या ईरानी राष्ट्रपति के हेलीकॉप्टर के उड़ान भरने से पहले चालक दल के साथ मौसम संबंधी सूचना साझा नहीं की गई थी? हेलीकॉप्टर में राष्ट्रपति और विदेश मंत्री समेत बहुत महत्त्वपूर्ण व्यक्ति बैठे थे। अगर मौसम संबंधी सूचना मिलने के बावजूद हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी तो इसमें स्पष्ट रूप से बड़ा जोखिम था, जिसे टालना चाहिए था। ईरानी राष्ट्रपति के काफिले में तीन हेलीकॉप्टर बताए जा रहे हैं, लेकिन उनमें से दो सही-सलामत उतर गए। सिर्फ रईसी का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ। इस घटना के बाद सबसे पहले तो इज़राइल की भूमिका को लेकर सवाल उठेंगे। सोशल मीडिया पर ऐसे सवालों की बौछार शुरू हो गई है। पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास ने जिस तरह इज़राइल पर हमला बोला था, उसके बाद ईरान के तेवर काफी तीखे हो गए थे। ईरानी अख़बारों ने हमास का खुलकर साथ दिया और उसके समर्थन में नेताओं के बयानों को प्रथम पृष्ठ पर जगह दी गई थी।
इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद पर ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि वह ईरान के 'महत्त्वपूर्ण लोगों' को निशाना बनाती है। ईरान के कई वैज्ञानिकों और सैन्य अधिकारियों की 'विदेशी हमलों' में मौत हो चुकी है, जिससे इस देश के परमाणु कार्यक्रम और सुरक्षा को बड़ा झटका लगा। हालांकि ईरान भी ऐसा कोई मौका हाथ से नहीं जाने देता। तेरह अप्रैल को ईरानी सशस्त्र बलों की शाखा आईआरजीसी ने इराकी लड़ाकों, लेबनानी आतंकवादी समूह हिज्बुल्लाह और अंसार अल्लाह (हूती) के सहयोग से इज़राइल पर हमला बोला था। उसमें बड़ी संख्या में ड्रोन, मिसाइलों और गोला-बारूद का उपयोग किया गया, लेकिन इज़राइल को कोई खास नुकसान नहीं हुआ था। उसने हमले को विफल कर दिया था। उसके साथ ही यह तय माना जा रहा था कि अब इजराइल कोई बड़ी कार्रवाई करेगा। हालांकि 'बड़ी कार्रवाई' के तौर पर ईरानी राष्ट्रपति और विदेश मंत्री को निशाना बनाने की बात गले नहीं उतरती, क्योंकि इसका सीधा मतलब है- जंग को दावत देना। अभी इज़राइल हमास से जूझ रहा है। गाजा में संघर्ष रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने बयान तो खूब दिए, लेकिन धरातल पर कोई ठोस कदम उठाने में कामयाब नहीं रहे। वहां हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में इज़राइल एक और मोर्चा खोलते हुए ईरान से भिड़ंत मोल लेने की भूल नहीं करेगा। इब्राहिम रईसी का जैसा करियर रहा, उसको ध्यान में रखते हुए उन्हें ईरान में भविष्य का 'सर्वोच्च नेता' भी माना जाता था, जो इस देश में सबसे ज्यादा शक्तिशाली पद होता है। वे खामेनेई के उत्तराधिकारी होने के प्रबल दावेदार थे। सात मार्च, 2019 को खामेनेई के आदेश से रईसी को न्यायपालिका का प्रमुख नियुक्त किया गया था। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान न्यायिक सुधारों को लेकर महत्त्वपूर्ण कदम उठाए थे। आर्थिक भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों के संबंध में कार्रवाई करने और न्यायिक दक्षता को बढ़ाने के लिए खामेनेई ने उनकी तारीफ की थी। रईसी के निधन के बाद ईरान की राजनीति में जो खालीपन पैदा हुआ है, वह शीर्ष नेताओं के बीच बड़े सत्ता-संघर्ष का कारण बन सकता है।