कन्याकुमारी/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तमिलनाडु के कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद रॉक मेमोरियल जाकर ध्यान करने के फैसले के बाद यह स्थान सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इसका संबंध महान संत एवं दार्शनिक स्वामी विवेकानंदजी से है।
विवेकानंद रॉक मेमोरियल एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है। यह मुख्य भूमि से लगभग 500 मीटर दूर स्थित दो चट्टानों में से एक पर स्थित है। माना जाता है कि इसी चट्टान पर देवी कन्याकुमारी (पार्वती) ने भगवान शिव के लिए तपस्या की थी।
यहां आगंतुकों के ध्यान के लिए स्मारक से जुड़ा एक ध्यान कक्ष भी है, जिसे ध्यान मंडपम् के नाम से जाना जाता है। यहां स्थित चट्टानें लक्षद्वीप सागर से घिरी हुई हैं, जहां तीन महासागर बंगाल की खाड़ी, हिंद महासागर और अरब सागर मिलते हैं।
उन्नीसवीं सदी के महान वक्ता स्वामी विवेकानंदजी ने साल 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में भारत की आध्यात्मिक ख्याति को दुनिया में पहुंचाने से पहले यहां ध्यान किया था
उनके सम्मान में साल 1970 में यह स्मारक बनाया गया था। जिस चट्टान पर यह स्मारक बनाया गया, कहा जाता है कि यहीं पर विवेकानंदजी को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। चट्टान में एक विशेष रूप से संरक्षित भाग है, जिसके बारे में माना जाता है कि वे देवी पार्वती के पांवों के निशान हैं।
स्मारक में विभिन्न वास्तुशिल्प शैलियों का सुंदर मिश्रण प्रदर्शित किया गया है। श्रीपद मंडपम् और विवेकानंद मंडपम् स्मारक में दो अद्भुत संरचनाएं हैं। परिसर में स्वामी विवेकानंद की आदमकद कांस्य प्रतिमा भी है। यह स्थान अत्यंत मनोरम है।