घोर अनुशासनहीनता

सुरक्षा बलों के अनेक कर्मियों ने बड़े-बड़े बलिदान दिए हैं

यह सम्मान बहुत मेहनत और सत्यनिष्ठा से कमाया गया है

हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित सांसद कंगना रनौत को चंडीगढ़ हवाईअड्डे पर सुरक्षा जांच के दौरान सीआईएसएफ की एक महिला सिपाही द्वारा थप्पड़ मारे जाने और उन्हें अभद्र शब्द बोलने की घटना घोर अनुशासनहीनता है। सुरक्षा बलों के कर्मियों को देश की सेवा और सुरक्षा करने के लिए वर्दी मिलती है, न कि निजी खुन्नस के आधार पर मारपीट करने के लिए। जब कोई व्यक्ति भर्ती परीक्षा में सफल होने के बाद प्रशिक्षण प्राप्त करता है और सेवा में आने से पहले शपथ लेता है तो उसे यह बात सिखाई जाती है कि आपके लिए अपना कर्तव्य सर्वोच्च होना चाहिए। अगर कोई कर्मी कर्तव्य से विमुख होकर हाथापाई पर उतर आए तो यह बहुत बड़ा विश्वासघात है। आज देश में वर्दी का विशेष सम्मान किया जाता है तो याद रखना चाहिए कि यह किसी बनी-बनाई रीति या भय के कारण नहीं किया जाता। सुरक्षा बलों के अनेक कर्मियों ने बड़े-बड़े बलिदान दिए हैं। देशवासी उन्हें नायक की तरह पूजते हैं, उनसे प्रेरणा लेते हैं। यह सम्मान बहुत मेहनत और सत्यनिष्ठा से कमाया गया है। कंगना के साथ हुई घटना निश्चित रूप से उस सम्मान को घटाने की एक ओछी हरकत है। अगर उस कर्मी के हाथ में कोई हथियार होता तो क्या होता? कोई नेता हो या साधारण व्यक्ति, उसके निजी विचारों को आधार बनाते हुए ऐसी घटना को अंजाम देना निंदनीय है। अगर किसी को उसके शब्दों में कोई आपत्तिजनक बात लगती है तो वह अदालत जा सकता है। अदालतों ने ऐसे कई मामलों में संबंधित लोगों (जिनमें सांसद तक शामिल हैं) को दोषी पाकर सजाएं दी हैं। लेकिन यह कहां तक उचित है कि अपने कर्तव्य को ताक पर रखकर मारपीट शुरू कर दें?

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर कई यूजर्स आरोपी की हिमायत कर रहे हैं। अगर निजी विचारों से खफा होने मात्र से 'मारपीट' को उचित ठहरा रहे हैं तो बहुत गलत व खतरनाक परंपरा शुरू कर रहे हैं। किसी की विचारधारा से सहमत या असहमत हुआ जा सकता है, लेकिन अगर इस तरह थप्पड़ मारने का पक्ष ले रहे हैं तो याद रखना चाहिए कि ये लोग भी किसी 'सनकी' की चपेट में आ सकते हैं, चूंकि जरूरी नहीं कि इनकी विचारधारा की सभी बातें दूसरों को पसंद आएं! मतभेद होना अलग बात है, लेकिन ऐसा हिंसक व्यवहार किसी के साथ नहीं होना चाहिए। सोशल मीडिया पर लिखी गईं बातों से खफा होकर इस तरह 'बदला' लेने का 'महिमा-मंडन' करेंगे तो देशभर में हिंसक घटनाओं का सिलसिला चल पड़ेगा। लिहाजा सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर साफ संदेश देना चाहिए कि सुरक्षा बलों में अनुशासनहीनता के लिए कोई जगह नहीं है। देश की सुरक्षा की शपथ लेने के बाद न तो किसी के साथ पक्षपात करना है और न किसी से रंजिश रखनी है। जो कर्मी ऐसी अनुशासनहीनता दिखाएगा, वह कठोर दंड पाएगा। रक्षक से यह उम्मीद नहीं की जाती कि वह भक्षक बनने को आमादा हो जाए। हमारा देश पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ऐसे ही कुछ सिरफिरों के कारण खो चुका है। अक्टूबर 2018 में हरियाणा में एक जज की पत्नी और बेटे को उनके सुरक्षाकर्मी ने ही गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था। वर्दी की हनक में आम और गरीब लोगों से बदतमीजी, बदसलूकी और मारपीट की तो अनगिनत घटनाएं हैं। अगर कोई व्यक्ति सुरक्षा बलों का हिस्सा बनकर जोश और होश में संतुलन नहीं रख पाता, जिसके मन में कर्तव्य-परायणता की जगह निजी द्वेष हावी रहता है, वह देश की सेवा एवं सुरक्षा से जुड़े इस महान पेशे के योग्य नहीं है।

About The Author: News Desk