विकास की गति तेज करें

देश का हर नागरिक अपना है, कोई पराया नहीं है

मोदी सरकार 'जनता की सरकार' है, यह बात धरातल पर भी नजर आनी चाहिए

नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है। किसी नेता के लिए लगातार तीसरी बार इस पद तक पहुंचना निश्चित रूप से उसकी लोकप्रियता पर जनता की मुहर मानी जाएगी। इस बार भाजपा को अपने बूते पूर्ण बहुमत नहीं मिला, लेकिन 4 जून को उसके नेतृत्व वाले राजग ने रुझानों में दोपहर को ही बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया था। भले ही भाजपा के पास 'जादुई नंबर' नहीं था, लेकिन मतदाताओं ने निर्विवाद रूप से विपक्ष के सभी नेताओं से ज्यादा मोदी पर भरोसा जताया है। मोदी ने यह 'उपलब्धि' कोरोना काल को पार करने के बाद हासिल की है, जो कई देशों में सत्ता-परिवर्तन करवा चुका है। लोकसभा चुनाव नतीजों को इस तरह देखना चाहिए कि मतदाताओं ने भाजपा को 'चेताया' है, कांग्रेस की पीठ को 'थपथपाया' है, लेकिन भरोसा मोदी पर ही जताया है। अगर जनता मोदी सरकार से उकता चुकी होती तो भाजपा 150 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाती। एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल होने के नाते भाजपा को उन बिंदुओं पर आत्म-मंथन करना चाहिए, जो उसके पूर्ण बहुमत पाने में बाधा बने। साथ ही, मोदी सरकार को अपने फैसलों से मतदाताओं की नाराजगी दूर करनी चाहिए। इस सरकार में सहयोगी दलों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण होगी। देश में राजनीतिक स्थिरता को सुदृढ़ करने और विकास की गति को तेज करने के लिए भाजपा को अन्य दलों के साथ भी समन्वय एवं संवाद का रास्ता अपनाना चाहिए। सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, अब चुनावी आरोप-प्रत्यारोप को पीछे छोड़ते हुए ऐसे काम करें, जिनसे लोगों की ज़िंदगी आसान हो। बेशक सबको साथ लेकर चलना आसान नहीं होता, लेकिन यह असंभव भी नहीं होता। एक सौ चालीस करोड़ से ज्यादा आबादी वाले और विविधताओं से भरे हुए देश के प्रधानमंत्री इस बात से खूब परिचित हैं, जिनके पास राजनीति का सुदीर्घ अनुभव है।  

नई सरकार हिंदुत्व को साथ रखते हुए सभी समुदायों और वर्गों के कल्याण के लिए काम करे। अपने कुछ नेताओं के बड़बोलेपन पर लगाम लगाए। देश का हर नागरिक अपना है, कोई पराया नहीं है। मोदी सरकार देश के आम लोगों तक यह संदेश पहुंचाए कि वह उनसे दूर नहीं है। बिहार (जहां सत्तारूढ़ जदयू अब केंद्र में भाजपा के साथ है), ओडिशा (जहां भाजपा सरकार बनाने वाली है) समेत जिन राज्यों में अब भी गरीबी काफी ज्यादा है, वहां लोगों की जरूरतों के साथ इन्साफ़ करे। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा (जहां भाजपा की सरकारें हैं) और पंजाब में युवाओं और किसानों के मुद्दों की ओर खास ध्यान दे। उत्तराखंड, हिमाचल, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ ... जहां भाजपा का प्रदर्शन शानदार रहा, वहां अपने नेताओं को विनम्र रहने की नसीहत देते हुए जमीन से जुड़ाव रखे, आम जनता तक हर सुविधा पहुंचाए। आंध्र प्रदेश को 'डबल इंजन' सरकार का फायदा जनता के जीवन में आए गुणवत्तापूर्ण बदलाव के रूप में दिखना चाहिए। कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना में भाजपा को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। अब केंद्र सरकार यहां पानी, रोजगार और उद्योगों से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देते हुए राज्यों की मांगें पूरी करे। उत्तर-पूर्व में समय के साथ भाजपा की स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी इस कार्यकाल में वहां शिक्षा, सौहार्द, पर्यटन, उद्योगों को बढ़ावा देने वाले प्रयासों में और तेजी लाएं। इन राज्यों में बांग्लादेश और म्यांमार से होने वाली घुसपैठ एक बड़ी समस्या है। घुसपैठिए किसी भी सूरत में नरमी के हकदार नहीं हैं। वे कई राज्यों में फैल चुके हैं। उनका बोझ भारत क्यों उठाए? घुसपैठियों के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसे लोगों को कठोर कारावास मिलना चाहिए। साथ ही उन लोगों को भी कारागार में डालना चाहिए, जो घुसपैठियों की मदद करते हैं। देश के युवाओं को रोजगार देने की स्पष्ट नीति होनी चाहिए। बेशक भारत में कोई भी सरकार हर युवा को सरकारी नौकरी नहीं दे सकती। अगर हमें तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बनना है तो निजी क्षेत्र को बढ़ावा देना ही होगा। युवाओं में स्वरोजगार की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। इसके लिए नियमों का सरलीकरण होना चाहिए। लोगों को छोटे-छोटे कामों के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें। मोदी सरकार 'जनता की सरकार' है, यह बात कागजों में ही नहीं, धरातल पर भी नजर आनी चाहिए।

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