मोदी सरकार 3.0 के मंत्रियों के पदभार ग्रहण करने के बाद अब देश नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ना चाहिए। जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरी बार देशसेवा का यह अवसर दिया है। इस बार उनसे उम्मीदें भी ज्यादा हैं। खासकर युवा, किसान और महिला वर्ग नई सरकार के संबंध में अधिक आशान्वित है। हालांकि इतने बड़े देश में अपने कार्यों के लिए हर व्यक्ति से सराहना पाना तो असंभव है। देश के पास जितने संसाधन हैं, उनसे न तो हर युवा को सरकारी नौकरी दी जा सकती है और न ही हर व्यक्ति का हर सपना पूरा किया जा सकता है। सरकार की आलोचना होगी ही होगी। इस बार लोकसभा में विपक्षी दलों के सांसद भी ज्यादा चुनकर आए हैं। लिहाजा सरकार को कड़े सवालों के जवाब देने के लिए तैयार रहना चाहिए। आज जब हम साल 2014 के दिनों को याद करते हैं (जब मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने थे) तो पाते हैं कि इस एक दशक में देश ने कई क्षेत्रों में बहुत प्रगति की है। आज घर-घर तक मोबाइल इंटरनेट पहुंच गया है। लोगों के बैंक खाते खुल गए हैं। हमारा देश डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में नए कीर्तिमान रच रहा है। विदेशों में भारत की धाक बढ़ी है। भारतीय पासपोर्ट का सम्मान बढ़ा है। सूर्य मिशन और चंद्र मिशन में सफलता के बाद दुनिया में इसरो का डंका बज रहा है। इस अवधि में बड़ी तादाद में आतंकवादी मारे गए हैं। भारत का खुफिया तंत्र मजबूत हुआ है। कई कट्टरपंथी और आतंकवादी संगठनों पर तगड़ा प्रहार हुआ है। देश में सड़कों का जाल बिछा है। यात्रियों को नई तकनीक का लाभ मिला है। स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हुई हैं। हमने कोरोना जैसी बड़ी महामारी का दृढ़ता से सामना किया।
इस कार्यकाल में सरकार को चाहिए कि वह पिछले अनुभवों का लाभ उठाते हुए सुधारों का सिलसिला आगे बढ़ाए। जहां नरमी की जरूरत हो, वहां नरमी बरते। जहां सख्ती दिखानी हो, वहां रवैए में सख्ती लाए। इस समय देश में कई मुद्दों के साथ कुछ बड़े मुद्दे हैं, जिन पर सरकार को तुरंत ध्यान देते हुए जरूरी कदम उठाने चाहिएं। आज युवाओं के सामने रोजगार का संकट है। कई परीक्षाएं देने के बावजूद जब चयन नहीं होता है तो मन में निराशा घर करने लगती है। पड़ोसियों और रिश्तेदारों के ताने तीखे तीर बनकर चुभते हैं। एक सौ चालीस करोड़ से ज्यादा आबादी वाले इस देश से बहुराष्ट्रीय कंपनियां हर साल अरबों डॉलर का मुनाफा कमाती हैं, लेकिन हमारे युवाओं के पास पर्याप्त रोजगार नहीं है! सरकार को यह धारणा तोड़नी ही होगी कि रोजगार सिर्फ सरकारी नौकरी से मिल सकता है। ऐसे युवाओं को आगे लाना होगा, जिन्होंने सरकारी नौकरी के बजाय स्वरोजगार से बड़ी कामयाबी हासिल की। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए रोजगार के ऐसे अवसरों का सृजन करना होगा, जो युवाओं की आकांक्षाएं पूरी कर सकें। ग्रामीण भारत में बहुत शक्ति व सामर्थ्य है। याद करें, जब कोरोना काल में बड़े-बड़े कारखानों और मॉल्स का संचालन बंद हो गया था, तब खेती ने हमारी अर्थव्यवस्था को ऊर्जा दी थी। गांवों में ड्रोन और इजराइली तौर-तरीकों से खेती बहुत बड़ा बदलाव ला सकती है। पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने आम लोगों के लिए कई काम आसान कर दिए हैं। अब बिजली, पानी, फोन समेत सभी सेवाओं-सुविधाओं के बिल ऑनलाइन जमा हो जाते हैं। रेलवे स्टेशन, बस डिपो, सिनेमा घरों के सामने टिकटों के लिए लगने वाली कतारें बहुत छोटी हो गई हैं। पहले, छोटे शहरों में गैस सिलेंडर लेने और बैंक से संबंधित काम करवाने में आधा या पूरा दिन बीत जाता था। अब ये काम कुछ सेकंडों में हो जाते हैं। सरकार को चाहिए कि वह इस दिशा में और ज्यादा तेजी से आगे बढ़े। उसकी सभी सुविधाएं लोगों को घर बैठे मिलनी चाहिएं। किसी को भी सरकारी दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें। भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर साफ संदेश देना चाहिए कि जनता का हक मारने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार आम लोगों की ज़िंदगी आसान बनाए। इसी से विकसित भारत के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा।