पाचन तंत्र को बेहतर बनाकर रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है धनुरासन

धनुरासन करते समय पेट और रीढ़ की हड्डी पर जोर पड़ता है

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बेंगलूरु/दक्षिण भारत। हर योगासन के नाम का एक इतिहास है, जो रोचक भी है। अगर इनके नामों पर ध्यान दें तो यह समझना काफी आसान होता है कि इनका अभ्यास करेंगे तो शरीर की आकृति कैसी होगी।

उदाहरण के लिए- 'धनुरासन' पर ध्यान दें तो आसानी से समझ सकते हैं कि इसमें शरीर की आकृति खींचे हुए 'धनुष' जैसी हो जाएगी। इसे यह नाम 'धनु' और 'आसन' से मिला है। 

कैसे करें धनुरासन?

धनुरासन को करना बहुत आसान है। इसके लिए सबसे पहले चटाई या नरम आसन पर पेट के बल लेटें। इसके बाद अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर हाथों से पकड़ें। अब सांस अंदर खींचे और छाती एवं जांघों को ऊपर की तरफ उठाएं। ध्यान रखें कि इस दौरान ज़बरदस्ती खींचतान नहीं करनी है। 

अगर शुरुआत में पैरों और छाती को ज्यादा ऊपर तक न लेकर जा सकें तो उतना ही करें, जितना आसानी से हो जाए। सुविधानुसार शरीर को इस स्थिति में कुछ समय तक रखें। इस अवधि में धीरे-धीरे सांस लेकर छोड़ते रहें। उसके बाद धीरे-धीरे ही पूर्व स्थिति में आ जाएं। शुरुआत में यह आसन रोजाना दो से तीन बार करना ठीक रहता है।

इन बातों का ध्यान रखें

धनुरासन करते समय पेट और रीढ़ की हड्डी पर जोर पड़ता है। जिन्हें शरीर के इन अंगों में कोई स्वास्थ्य समस्या है, वे इसका अभ्यास न करें। बेहतर होगा कि वे पहले किसी कुशल योग प्रशिक्षक से सलाह लें। उदाहरण के लिए- रीढ़ की हड्डी या डिस्क संबंधी दिक्कत और अल्सर एवं पेट के गंभीर रोग होने पर धनुरासन नहीं करना चाहिए।

धनुरासन करने से लाभ

- यह आसन पेट की चर्बी को कम करने में सहायक है। 

- धनुरासन से पाचन तंत्र बेहतर होता है। 

- जिन्हें एसिडिटी, खट्टी डकार, कब्ज की समस्या रहती है, उनके लिए यह आसन लाभदायक है।

- धनुरासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत और लचीली बनाने में सहायक होता है।

- यह गुर्दों के लिए भी अच्छा माना जाता है।

- धनुरासन गर्दन और पीठ के दर्द में राहत पहुंचाता है।

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