बेंगलूरु/दक्षिण भारत। दिनचर्या में बदलाव, तनाव, अवसाद और स्क्रीन टाइम में बढ़ोतरी के कारण कई लोगों को अनिद्रा की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। प्राय: लोग शिकायत करते हैं कि उन्हें रात 2 बजे तक नींद नहीं आती। इसके बाद जब नींद लेने की कोशिश करते हैं तो मुश्किल से सो पाते हैं और अगले दिन देर से उठते हैं।
इससे पढ़ाई या कामकाज पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाते। अक्सर उन लोगों को दोपहर का भोजन करते ही नींद आने लगती है। अगर उस समय स्कूल, कॉलेज या कोचिंग संस्थान में पढ़ाई कर रहे हों अथवा दफ्तर में काम कर रहे हों तो उसमें मन नहीं लगता। बस, यह इच्छा होती है कि एक-दो घंटे सोने के लिए जगह मिल जाए।
पश्चिमी देशों में तो कुछ कंपनियों ने ऐसे लोगों के लिए विशेष प्रबंध करने शुरू कर दिए हैं। वे दफ्तर में कुछ समय के लिए झपकी ले सकते हैं। हालांकि इस व्यवस्था पर विवाद भी हो चुके हैं। यह देखा गया है कि कुछ लोग एक घंटा आराम करने के लिए गए और चार घंटे बाद लौटे। इससे कामकाज प्रभावित हुआ और रातभर अनिद्रा की स्थिति का सामना करना पड़ा।
विशेषज्ञों का कहना है कि योग इस समस्या से निजात दिला सकता है। नींद को मापते समय, शोधकर्ता संबंधित व्यक्ति के सो जाने और सोते रहने की क्षमता को देखते हैं। अनिद्रा इनमें से एक या दोनों पहलुओं को प्रभावित कर सकती है।
लोग कितनी जल्दी सो पाते हैं और कितनी गहरी नींद में रहते हैं - योग से दोनों में सुधार देखा गया है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि योगनिद्रा विशेष रूप से नींद लेने से संबंधित समस्याओं के समाधान में सहायक है।
हार्वर्ड हैल्थ के अनुसार, योग आपके दिन को शांत रखने का एक सौम्य और आरामदेह तरीका है। एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में कहा गया है कि योग करने वाले 55 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों ने पाया कि इससे उन्हें बेहतर नींद लेने में मदद मिली। 85 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों ने कहा कि योग तनाव को कम करने में मदद करता है।
योग के दौरान सांस लेना अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। योग के साधकों ने अनुभव किया कि उज्जयी प्राणायाम अनिद्रा पर विजय पाने में सहायक सिद्ध होता है। इसके अलावा बालासन, उत्तानासन, अर्ध उत्तानासन, सुप्त बद्ध कोणासन, विपरीत करणी और शवासन कुछ ऐसे आसन हैं, जो अनिद्रा की समस्या को दूर कर सकते हैं।