बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शरीर को आराम देने के कई आसनों और मुद्राओं में विपरीत करणी को बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यह जितनी सरल नजर आती है, उतनी ही ज्यादा बलदायक भी है। इसमें ज्यादा लचीलेपन की जरूरत नहीं पड़ती, इसलिए थोड़े-से अभ्यास के बाद इसमें निपुण हो सकते हैं।
कैसे करें विपरीत करणी?
- सबसे पहले फर्श पर दीवार के पास चटाई या योगा मैट बिछाएं। अगर ये उपलब्ध न हों तो कंबल या दरी आदि काम में ले सकते हैं।
- अब मैट पर इस तरह बैठें कि दीवार आपके बाएं हाथ की तरफ हो।
- अपने घुटनों को मोड़ें और पैरों को कूल्हों के पास लाएं तथा दाईं करवट पर लेटें।
- अब करवट बदलें, पीठ के बल हों और घुटने मोड़ते हुए छाती से मिलाएं।
- पैरों को सीधे ऊपर की ओर ले जाएं। जांघें, पिंडली और एड़ियां दीवार से लगा लें।
- इस मुद्रा को शुरुआत में कम अवधि के लिए करें। फिर धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आएं।
इन बातों का रखें ध्यान
- योगाभ्यास के दौरान जल्दबाजी न करें।
- पीठ को झटका न लगे।
- जिन्हें पीठ का गंभीर रोग है या ऑपरेशन कराया है, वे लोग इसे न करें।
- नियमित रूप से गहरी सांस लेना जारी रखें।
- जिन्हें चक्कर महसूस हो, वे भी इसका अभ्यास न करें।
- गर्भावस्था में इसे करना वर्जित है।
- शरीर के किसी हिस्से में गंभीर चोट लगी हो, बड़ा घाव हुआ हो तो उसके पूरी तरह ठीक होने के बाद ही अभ्यास करना चाहिए।
बता दें कि विपरीत करणी से पीठ के खिंचाव-तनाव दूर होते हैं। इससे पाचन क्रिया में सुधार आता है। इसे करने के बाद शरीर को बहुत आराम महसूस होता है। यह रक्त संचार के लिए लाभदायक है।