बेंगलूरु/दक्षिण भारत। आज कई परिवारों में कब्ज एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। प्राय: बुजुर्ग ही नहीं, किशोर और युवा भी यह शिकायत करते मिल जाते हैं कि सुबह उनका पेट साफ नहीं होता। ऐसे में उन्हें दैनिक कार्यों से निवृत्त होने में काफी समय लग जाता है।
कब्ज के कई कारण हो सकते हैं, जैसे- देर से खाना, पचने में भारी पदार्थों का सेवन करना, शारीरिक श्रम न करना, पाचन के प्रतिकूल आदतें अपनाना, भोजन करते ही बैठ जाना या सो जाना, पर्याप्त फाइबर युक्त भोजन न करना, पर्याप्त पानी न पीना। कब्ज अपने साथ कई बीमारियां लेकर आती है, इसलिए समय रहते इससे निजात पाना जरूरी है।
योगा जर्नल के अनुसार, हाल में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन लोगों को कोविड हुआ था, उनमें वायरस का पता चलने के एक साल बाद तक कब्ज सहित जठरांत्र संबंधी समस्याओं का अनुभव होने की अधिक आशंका थी। जिन लोगों में वायरस के लक्षण अधिक गंभीर थे, उनमें आंतों की समस्याएं होने की आशंका अधिक थी।
सबसे पहले तो उन कारणों का पता लगाना चाहिए, जिनसे कब्ज पैदा होती है। अपनी दिनचर्या को प्रकृति के अनुकूल बनाएं। समय पर भोजन करें, अत्यधिक तले-भुने और पचने में भारी पदार्थों का सेवन न करें, भोजन करने के बाद थोड़ा टलें, तुरंत ही विश्राम न करें।
इसके साथ ही कुछ योगासन हैं, जिनका किसी कुशल प्रशिक्षक की देखरेख में अभ्यास किया जा सकता है। ये हैं - भुजंगासन, धनुरासन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन, हलासन, मयूरासन, पवनमुक्तासन, बद्धकोणासन।
ध्यान रखें कि यह समस्या रातोंरात दूर नहीं होती और सिर्फ योगासन करना पर्याप्त नहीं है। पाचन तंत्र को कमजोर बनाने वाली चीजों और आदतों से दूर रहना जरूरी है।