जापान में योग के 'नए दौर' का हो रहा सूर्योदय

पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं में राहत दे रहा योग

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बेंगलूरु/दक्षिण भारत। जापान में योग का इतिहास बहुत पुराना है। यहां की संस्कृति पर सदियों से भारतीय प्रभाव रहा है, इसलिए जापानियों के लिए योग कोई 'नई अवधारणा' नहीं है। आज जापान में योग की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। वहां आध्यात्मिक स्थलों, योगा स्टूडियो के अलावा स्कूलों में भी योगाभ्यास सिखाया जाता है। 

अमेरिका के राष्ट्रीय चिकित्सा पुस्तकालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, साल 2012 में जापान योगा थैरेपी सोसाइटी (जेवाईटीएस) ने स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय के सहयोग से क्यूशू स्कूल ऑफ मेडिसिन विश्वविद्यालय के साथ मिलकर पूरे जापान में योग कक्षाओं पर एक अध्ययन किया था।

अध्ययन से पता चला कि योग कक्षाओं में भाग लेने वाले आधे से ज्यादा लोग वे थे, जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी कोई पुरानी समस्या थी। 

आज जापान में ऐसे लोगों की बड़ी तादाद है, जिन्होंने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बाद योगाभ्यास शुरू किया तो उन्हें लाभ हुआ। इससे उत्साहित होकर उन्होंने सिलसिले को आगे जारी रखा। इनमें कैंसर और हृदय संबंधी गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों के अलावा अकेलेपन का सामना कर रहे लोग भी थे।

बता दें कि जापानी समाज में अकेलापन एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। बहुत लोग अपने कामकाज में काफी व्यस्त रहते हैं, जिसके बाद उनके ​पास परिवार, दोस्तों, परिचितों आदि से बातचीत के लिए समय नहीं होता। यह स्थिति कालांतर में गंभीर मानसिक समस्याएं पैदा कर सकती है। 

वहां लोग योगाभ्यास में खुशियां तलाशने की कोशिशें कर रहे हैं और कामयाब भी हो रहे हैं। इसके अलावा, जिन लोगों को मादक पदार्थों की लत लग जाती है, वे उन्हें छोड़ने और अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत करने के लिए योग की शरण में आ रहे हैं। सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों को भी योगाभ्यास से काफी लाभ हो रहा है।

इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत चिकित्सा पेशेवरों की योग में रुचि बढ़ रही है। 

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