बेंगलूरु/दक्षिण भारत। योगशास्त्र में पश्चिमोत्तानासन को ऐसा योगासन बताया गया है, जो पाचन संबंधी अंगों की कार्य क्षमता में सुधार लाने के साथ ही मन को भी शांति देता है। यह तनाव और डिप्रेशन जैसी स्थिति में राहत देता है। पश्चिमोत्तानासन मोटापा दूर करने में सहायक होता है। यह रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है।
ऐसे करें पश्चिमोत्तानासन
- सबसे पहले दंडासन में बैठें। अब हाथों से ज़मीन को हल्का-सा दबाएं।
- उसके बाद सांस अंदर खींचे और रीढ़ की हड्डी को तानने की कोशिश करें।
- अब हाथों को सीधा ऊपर उठाकर जोड़ें।
- उसके बाद सांस बाहर छोड़ें और आगे की तरफ झुकें।
- हाथों को भी धीरे-धीरे आगे ले जाएं।
- कोशिश करें कि इतना आगे मुड़ें कि पैरों को दोनों तरफ से हाथों से पकड़ लें।
- ध्यान रखें कि अगर आप आगे नहीं मुड़ पा रहे हैं तो वहीं रुक जाएं।
- इस योगासन में पहले पेट का अगला हिस्सा जांघ से स्पर्श करेगा। उसके बाद सीना और आखिर में सिर स्पर्श करेगा।
- इस आसन में आधा मिनट से लेकर एक मिनट तक रहने का अभ्यास किया जा सकता है।
इन बातों का रखें ध्यान
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो तो यह आसन नहीं करें।
- जिन्हें दस्त लग रहे हों, उन्हें उस दौरान यह आसन नहीं करना चाहिए।
- जिन्हें दमा संबंधी दिक्कत हो, उन्हें भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
- शरीर को ज्यादा जोर लगाकर नहीं खींचना चाहिए। जितना सहजता से हो सके, उतना ही करें।
होते हैं ये फायदे
- पेट संबंधी रोगों में लाभदायक है।
- पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
- एकाग्रता प्राप्त करने में सहायक है।
- पेट की अतिरिक्त चर्बी को दूर करता है।
- यह आसन अनिद्रा में भी लाभदायक है।