बेंगलूरु/दक्षिण भारत। रेगिस्तान के जहाज़ ऊंट के बारे में सब जानते हैं, लेकिन क्या आपको पता है, ऊंट के नाम पर एक योगासन भी है? जी हां, इसे उष्ट्रासन कहा जाता है। जब इस योगासन को करते हैं तो शरीर की आकृति ऊंट जैसी हो जाती है। इसलिए इसे यह नाम दिया गया है।
ऊंट दृढ़ इच्छाशक्ति और जीवट वाला होता है। वह विपरीत परिस्थितियों में भी धीरज रखता है। उष्ट्रासन करने से योगाभ्यासकर्ता का तन और मन, दोनों मजबूत होते हैं। आइए, जानते हैं उष्ट्रासन करने का तरीका ...
- सबसे पहले योगा मैट पर घुटनों के सहारे बैठें।
- ध्यान रखें कि घुटनों की चौड़ाई कंधों के बराबर हो।
- तलवे पूरी तरह से फैलाकर आसमान की ओर होने चाहिएं।
- इसके बाद रीढ़ की हड्डी को पीछे की तरफ़ झुकाएं।
- दोनों हाथों को एड़ियों पर टिकाएं।
- इस बात का ध्यान रखें कि आपकी गर्दन पर ज़्यादा दबाव नहीं पड़ना चाहिए।
- इस स्थिति में 15 सेकंड से 30 सेकंड तक रह सकते हैं।
- इस दौरान गहरी सांस लेते रहें। उसके बाद पूर्व स्थिति में लौट आएं।
ये फायदे होंगे
- पाचन क्षमता में वृद्धि होगी।
- पीठ और कंधे मजबूत होंगे।
- शारीरिक और मानसिक शक्ति में वृद्धि होगी।
- रक्त परिसंचरण में सुधार होगा।
- रीढ़ की हड्डी लचीली होगी।
ध्यान रखें
जिन लोगों को गर्दन या पीठ पर चोट लगी हो, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए। जिनके घुटनों में दर्द हो, उन्हें भी इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
इस जानकारी का उद्देश्य योग के बारे में जागरूकता पैदा करना है। यह स्वास्थ्य संबंधी सलाह का विकल्प नहीं हो सकती। उचित सावधानियों का पालन करते हुए किसी कुशल योग प्रशिक्षक के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही योगाभ्यास करना चाहिए।