नई दिल्ली/दक्षिण भारत। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 'व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार' का संकेत दिया है, लेकिन 'वे ऐसे ही काम कर रहे हैं, जैसे कुछ बदला ही नहीं है।'
उन्होंने एक आलेख में दावा किया कि 'इस बात का जरा सा भी सबूत नहीं है कि मोदी चुनावी नतीजों से सहमत हैं या फैसले को समझ पाए हैं।'
उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री के 'दूतों ने अध्यक्ष पद के लिए सर्वसम्मति मांगी' तो विपक्षी इंडि गुट ने सरकार को समर्थन देने पर सहमति जताई।
सोनिया गांधी ने कहा, 'लेकिन परंपरा को ध्यान में रखते हुए यह उचित और अपेक्षित है कि लोकसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के किसी सदस्य को दिया जाए।'
उन्होंने कहा कि सरकार को यह 'बिल्कुल उचित अनुरोध' अस्वीकार्य लगा। उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन संसद में संतुलन और उत्पादकता बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि 4 जून, 2024 को हमारे देश के मतदाताओं का फैसला स्पष्ट और जोरदार तरीके से सुनाया गया। यह एक ऐसे प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत, राजनीतिक और नैतिक हार का संकेत था, जिसने चुनाव प्रचार के दौरान खुद को दैवीय दर्जा दे दिया था।