नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में देशवासियों के नाम अपना संदेश दिया। उन्होंने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास दोहराया है। साल 2024 का चुनाव दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था। दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव कभी नहीं हुआ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 30 जून का यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसे आदिवासी भाई-बहन 'हूल दिवस' के रूप में मनाते हैं। यह वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरजोर विरोध किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वीर सिद्धो-कान्हू ने हजारों संथाली साथियों को एकजुट करके अंग्रेजों का जी-जान से मुकाबला किया था। यह साल 1855 में हुआ था यानी साल 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी दो साल पहले। तब झारखंड के संथाल परगना में हमारे आदिवासी भाई-बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठा लिया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आपसे पूछूं कि दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता कौनसा होता है तो आप जरूर कहेंगे - 'मां'। हम सबके जीवन में 'मां' का दर्जा सबसे ऊंचा होता है। मां हर दुख सहकर भी अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है। हर मां अपने बच्चे पर स्नेह लुटाती है। जन्मदात्री मां का यह प्यार हम सब पर एक कर्ज की तरह होता है, जिसे कोई चुका नहीं सकता।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम मां को कुछ दे तो सकते नहीं, लेकिन और कुछ कर सकते हैं क्या? इसी सोच में से इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान का नाम है- 'एक पेड़ मां के नाम'। मैंने भी एक पेड़ अपनी मां के नाम लगाया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने सभी देशवासियों से, दुनिया के सभी देशों के लोगों से यह अपील की है कि अपनी मां के साथ मिलकर या उनके नाम पर एक पेड़ जरूर लगाएं। मुझे यह देखकर बहुत खुशी हो रही है कि मां की स्मृति में या उनके सम्मान में पेड़ लगाने का अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर कोई अपनी मां के लिए पेड़ लगा रहा है, चाहे वह अमीर हो या गरीब, चाहे वह कामकाजी महिला हो या गृहिणी। इस अभियान ने सबको मां के प्रति अपना स्नेह जताने का समान अवसर दिया है। वे अपनी तस्वीरों को प्लांट4मदर और एक पेड़ मां के नाम के साथ साझा करके दूसरों को प्रेरित कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 'मन की बात' में आज आपको एक खास तरह के छातों के बारे में बताना चाहता हूं। ये छाते केरल में तैयार होते हैं। वैसे तो केरल की संस्कृति में छातों का विशेष महत्त्व है। छाते वहां कई परंपराओं और विधि-विधान का अहम हिस्सा होते हैं, लेकिन मैं जिस छाते की बात कर रहा हूं, वो हैं 'कार्थुम्बी छाते' और इन्हें तैयार किया जाता है केरल के अट्टापडी में।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन रंग-बिरंगे छातों को केरल की हमारी आदिवासी बहनें तैयार करती हैं। आज देशभर में इन छातों की मांग बढ़ रही हैं। इनकी ऑनलाइन बिक्री भी हो रही है। इन छातों को 'वट्टालक्की सहकारी कृषि सोसाइटी' की देखरेख में बनाया जाता है। इस सोसाइटी का नेतृत्व हमारी नारीशक्ति के पास है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि टोक्यो में हमारे खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने हर भारतीय का दिल जीत लिया था। टोक्यो ओलंपिक के बाद से ही हमारे एथलीट पेरिस ओलंपिक की तैयारियों में जी-जान से जुटे हुए थे। सभी खिलाड़ियों को मिला दें, तो इन सबने करीब 900 अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पेरिस ओलंपिक में आपको कुछ चीजें पहली बार देखने को मिलेंगी। शूटिंग में हमारे खिलाड़ियों की प्रतिभा निखरकर सामने आ रही है। टेबल टेनिस में पुरुषों और महिलाओं, दोनों की टीमें क्वालिफाई कर चुकी हैं। भारतीय शॉटगन टीम में हमारी शूटर बेटियां भी शामिल हैं। इस बार कुश्ती और घुड़सवारी में हमारे दल के खिलाड़ी उन श्रेणियों में भी कंपीट करेंगे, जिनमें पहले वे कभी शामिल नहीं रहे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुवैत सरकार ने अपने राष्ट्रीय रेडियो पर एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया है और वह भी हिंदी में। 'कुवैत रेडियो' पर हर रविवार को इसका प्रसारण आधे घंटे के लिए किया जाता है। इसमें भारतीय संस्कृति के अलग-अलग रंग शामिल होते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी फिल्में और कला जगत से जुड़ीं चर्चाएं वहां भारतीय समुदाय के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। मुझे तो यहां तक बताया गया है कि कुवैत के स्थानीय लोग भी इसमें खूब दिलचस्पी ले रहे हैं। मैं कुवैत की सरकार और वहां के लोगों का हृदय से धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने यह शानदार पहल की है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि तुर्कमेनिस्तान में इस साल मई में वहां के राष्ट्रीय कवि की 300वीं जन्म-जयंती मनाई गई। इस अवसर पर तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने दुनिया के 24 प्रसिद्ध कवियों की प्रतिमाओं का अनावरण किया। इनमें से एक प्रतिमा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की भी है। यह गुरुदेव का सम्मान है, भारत का सम्मान है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जून में दो कैरेबियाई देश सूरीनाम और सेंट विंसेंट एंड द ग्रेनेडीन्स ने अपनी भारतीय विरासत को पूरे जोश और उत्साह के साथ सेलिब्रेट किया। सूरीनाम में हिन्दुस्तानी समुदाय हर साल 5 जून को भारतीय आगमन दिवस और प्रवासी दिन के रूप में मनाता है। यहां तो हिंदी के साथ ही भोजपुरी भी खूब बोली जाती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सेंट विंसेंट एंड द ग्रेनेडीन्स में रहने वाले हमारे भारतीय मूल के भाई-बहनों की संख्या भी करीब छह हजार है। उन सबको अपनी विरासत पर बहुत गर्व है। एक जून को इन सबने भारतीय आगमन दिवस को जिस धूमधाम से मनाया। उससे उनकी यह भावना साफ झलकती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महीने पूरी दुनिया ने 10वें योग दिवस को भरपूर उत्साह और उमंग के साथ मनाया है। मैं भी जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में आयोजित योग कार्यक्रम में शामिल हुआ था। कश्मीर में युवाओं के साथ-साथ बहनों-बेटियों ने भी योग दिवस में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। जैसे-जैसे योग दिवस का आयोजन आगे बढ़ रहा है, नए-नए रिकॉर्ड बन रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के कितने ही प्रॉडक्ट हैं, जिनकी दुनियाभर में बहुत मांग है। जब हम भारत के किसी लोकल प्रॉडक्ट को ग्लोबल होते देखते हैं, तो गर्व से भर जाना स्वाभाविक है। ऐसा ही एक प्रॉडक्ट है अराकू कॉफ़ी। यह आंध्र प्रदेश के अल्लुरी सीता राम राजू जिले में बड़ी मात्रा में पैदा होती है। यह अपने भरपूर स्वाद और सुगंध के लिए जानी जाती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अराकू कॉफ़ी की खेती से करीब डेढ़ लाख आदिवासी परिवार जुड़े हुए हैं। इसे नई ऊंचाई देने में गिरिजन सहकारी कोआपरेटिव की बहुत बड़ी भूमिका रही है। इसने यहां के किसान भाई-बहनों को एक साथ लाने का काम किया और उन्हें अराकू कॉफ़ी की खेती के लिए प्रोत्साहन दिया। इससे इन किसानों की कमाई भी बहुत बढ़ गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे याद है, एक बार विशाखापत्नम में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू गारु के साथ मुझे इस कॉफ़ी का स्वाद लेने का मौका मिला था। अराकू कॉफ़ी को कई ग्लोबन अवॉर्ड मिले हैं। दिल्ली में हुई जी-20 समिट में भी कॉफी छाई हुई थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकल प्रॉडक्ट्स को ग्लोबल बनाने में हमारे जम्मू-कश्मीर के लोग भी पीछे नहीं हैं। पिछले महीने जम्मू-कश्मीर ने जो कर दिखाया है, वह देशभर के लोगों के लिए भी एक मिसाल है। यहां के पुलवामा से स्नो पीज़ की पहली खेप लंदन भेजी गई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोगों को यह आइडिया सूझा कि कश्मीर में उगने वाली एक्जोटिक वेजिटेबल्स को क्यों न दुनिया के नक्शे पर लाया जाए! बस फिर क्या था, चकूरा गावं के अब्दुल राशिद मीर इसके लिए सबसे पहले आगे आए। उन्होंने गांव के अन्य किसानों की जमीन को एक साथ मिलाकर स्नो पीज़ उगाने का काम शुरू किया और देखते ही देखते स्नो पीज़ कश्मीर से लंदन तक पहुंचने लगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज 30 जून को आकाशवाणी का संस्कृत बुलेटिन अपने प्रसारण के 50 साल पूरे कर रहा है। 50 वर्षों से लगातार इस बुलेटिन ने कितने ही लोगों को संस्कृत से जोड़े रखा है। मैं आल इंडिया रेडियो परिवार को बधाई देता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बेंगलूरु में एक पार्क है- कब्बन पार्क। इसमें यहां के लोगों ने एक नई परंपरा शुरू की है। यहां हफ्ते में एक दिन, हर रविवार बच्चे, युवा और बुजुर्ग आपस में संस्कृत में बात करते हैं। इतना ही नहीं, यहां वाद-विवाद के कई सत्र भी संस्कृत में ही आयोजित किए जाते हैं। इनकी इस पहल का नाम है- संस्कृत वीकेंड।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसकी शुरुआत एक वेबसाइट के जरिए समष्टि गुब्बी ने की है। कुछ दिनों पहले ही शुरू हुआ यह प्रयास बेंगलूरुवासियों के बीच देखते ही देखते काफी लोकप्रिय हो गया है। अगर हम सब इस तरह के प्रयास से जुड़ें तो हमें विश्व की इतनी प्राचीन और वैज्ञानिक भाषा से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।