मुंबई/दक्षिण भारत। बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने कहा है कि परिवर्तन का विरोध करना स्वाभाविक प्रवृत्ति है, लेकिन नए बनाए गए आपराधिक कानूनों का स्वागत किया जाना चाहिए और उन्हें बदली हुई मानसिकता के साथ लागू किया जाना चाहिए।
उन्होंने सोमवार से लागू होने वाले नए कानूनी ढांचे के तहत न्याय प्रदान करने के लिए जिम्मेदार लोगों से अपनी जिम्मेदारियों को निभाने का आग्रह किया है।
रविवार को विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा आयोजित 'आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन में भारत का प्रगतिशील मार्ग' विषयक एक कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने प्रभावी कार्यान्वयन की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, 'परिवर्तन का विरोध करना या अपने सुविधा क्षेत्र से बाहर आने से घृणा करना हमारी स्वाभाविक प्रवृत्ति है। अज्ञात का भय ही इस प्रतिरोध का कारण बनता है और हमारे विवेक को नष्ट कर देता है।'
उल्लेखनीय है कि सोमवार से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए, जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आएगा और औपनिवेशिक युग के कानून समाप्त हो जाएंगे।
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम क्रमशः ब्रिटिशकालीन भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे।