विपक्ष पर मोदी का प्रहार- 140 करोड़ देशवासियों ने जो जनादेश दिया, उसे ये पचा नहीं पा रहे

'यह चुनाव 10 वर्ष की सिद्धियों पर तो मोहर है ही, भविष्य के संकल्पों के लिए भी देश की जनता ने हमें चुना है'

Photo: narendramodi FB page

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बुधवार को राज्यसभा में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के भाषण में देशवासियों के लिए प्रेरणा भी थी, प्रोत्साहन भी था और एक प्रकार से सत्य मार्ग को पुरस्कृ​त भी किया गया था। पिछले दो-ढाई दिन में इस चर्चा में करीब 70 सांसदों ने अपने विचार रखे हैं। इस चर्चा को समृद्ध बनाने के लिए राष्ट्रपति के अभिभाषण को व्याख्यायित करने में सभी सांसदों ने जो योगदान दिया, इसके लिए आप सबका आभार व्यक्त करता हूं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर इससे अपना मुंह फेरकर बैठे रहे, कुछ लोगों को समझ नहीं आया और जिनको समझ आया उन्होंने हो-हल्ला कर देश की जनता के इस महत्त्वपूर्ण निर्णय पर छाया करने की कोशिश की। मैं पिछले दो दिन से देख रहा हूं कि आखिर पराजय भी स्वीकार हो रही है और दबे मन से विजय भी स्वीकार हो रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 10 साल के बाद किसी एक सरकार की लगातार फिर से वापसी हुई है और मैं जानता हूं कि भारत के लोकतंत्र में 6 दशक बाद हुई है। यह असामान्य घटना है। नतीजे आए, तब से हमारे एक साथी की ओर से (हालांकि उनकी पार्टी उनका समर्थन नहीं कर रही थी) बार-बार ढोल पीटा गया था कि एक तिहाई सरकार ...! इससे बड़ा सत्य क्या हो सकता है कि हमारे 10 साल हुए हैं, 20 और बाकी हैं। एक तिहाई हुआ है, दो तिहाई और बाकी है और इसलिए उनकी इस भविष्यवाणी के लिए उनके मुंह में घी शक्कर।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे जैसे अनेक लोग हैं, जिनको बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान के कारण यहां तक आने का अवसर मिला है। जनता-जनार्दन ने मुहर लगाई और तीसरी बार भी आने का अवसर मिला।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब लोकसभा में हमारी सरकार की तरफ से कहा गया कि हम 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाएंगे तो मैं हैरान हूं कि जो आज संविधान की प्रति लेकर घूमते रहते हैं, दुनिया में लहराते रहते हैं, उन्होंने विरोध किया था कि 26 जनवरी तो है, फिर संविधान दिवस क्यों लाएं?

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज संविधान दिवस के माध्यम से स्कूलों और कॉलेजों ​को संविधान की भावना को, संविधान की रचना में क्या भूमिका रही है, देश के गणमान्य महापुरुषों ने संविधान के निर्माण में किन कारणों से कुछ चीजों को छोड़ने का निर्णय किया और किन कारणों से कुछ चीजों को स्वीकार करने का निर्णय किया, इसके विषय में विस्तार से चर्चा हो। एक व्यापक रूप से संविधान के प्रति आस्था का भाव जगे और संविधान के प्रति समझ विकसित हो। संविधान हमारी प्रेरणा रहे, इसके लिए हम कोशिश करते रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह चुनाव 10 वर्ष की सिद्धियों पर तो मोहर है ही, इस चुनाव में भविष्य के संकल्पों के लिए भी देश की जनता ने हमें चुना है, क्योंकि देश की जनता का एकमात्र भरोसा हम पर होने के कारण उन्होंने आने वाले सपनों को, संकल्पों को सिद्ध करने के लिए हमें अवसर दिया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जो यह मानते हैं कि इसमें क्या है, यह तो होने ही वाला है, यह तो अपने आप हो ही जाएगा ... ऐसे विद्वान हैं। ये लोग ऐसे हैं, जो ऑटो पायलट मोड में, रिमोट कंट्रोल सरकार चलाने के आदी हैं। ये कुछ करने धरने में विश्वास नहीं रखते, ये इंतजार करना जानते हैं। लेकिन हम परिश्रम में कोई कमी नहीं रखते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में हमने जो किया है, उसकी गति भी बढ़ाएंगे, उसका विस्तार भी करेंगे। गहराई भी होगी, ऊंचाई भी होगी और हम इस संकल्प को पूरा करेंगे। मैं किसानों को लेकर सभी सदस्यों का और उनकी भावनाओं का आदर करता हूं। बीते 10 वर्षों में हमारी खेती लाभकारी हो, किसान को लाभकारी हो, इस पर हमने हमारा ध्यान केंद्रित किया है और अनेक योजनाओं से उसको ताकत देने का प्रयास किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक प्रकार से बीज से बाजार तक हमने किसानों के लिए हर व्यवस्था को बहुत माइक्रो प्लानिंग के साथ मजबूती देने का भरसक प्रयास किया है और व्यवस्था को हमने चाक-चौबंद किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब किसान कल्याण हमारी सरकार के हृदय के केंद्र में हो तो नीतियां कैसे बनती हैं और लाभ कैसे होता है, उसका सदन को उदाहरण देना चाहता हूं। हमारी योजना का लाभ 10 करोड़ किसानों को हुआ है। तीन लाख करोड़ हम किसानों को दे चुके हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने कृषि को एक व्यापक स्वरूप में देखा है और मछुआरों को भी किसान क्रेडिट कार्ड मुहैया कराया है। कांग्रेस के कार्यकाल में 10 साल में एक बार किसानों की कर्जमाफी हुई और किसानों को गुमराह करने का भरसक प्रयास किया गया था और 60 हजार करोड़ की कर्जमाफी का इतना हल्ला मचाया था। उसके लाभार्थी सिर्फ तीन करोड़ किसान थे। गरीब किसान का तो नाम-ओ-निशान नहीं था। उनको लाभ पहुंच भी नहीं पाया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की जनता ने हर प्रकार से उनको इतना पराजित कर दिया है कि अब उनके पास गली-मोहल्ले में चीखने के सिवाय कुछ बचा नहीं है। नारेबाजी, हो-हल्ला और मैदान छोड़कर भाग जाना ... यही उनके नसीब में लिखा हुआ है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश देख रहा है झूठ फैलाने वालों की सत्य सुनने की ताकत भी नहीं होती है। सत्य से मुकाबला करना इसके लिए जिनके हौसले नहीं हैं, उनमें बैठकर के इतनी चर्चा के बाद अपने द्वारा ही उठाए हुए सवालों के जवाब सुनने की हिम्मत नहीं है। ये अपर हाउस को अपमानित कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आपकी वेदना मैं समझ सकता हूं, 140 करोड़ देशवासियों ने जो निर्णय दिया है, जो जनादेश दिया है, उसे ये पचा नहीं पा रहे हैं। कल उनकी सारी हरकतें फेल हो गईं, तो आज उनका वो लड़ाई लड़ने का हौसला भी नहीं था, इसलिए वो मैदान छोड़कर भाग गए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं तो कर्तव्य से बंधा हुआ हूं। मैं यहां डिबेट पर स्कोर करने नहीं आया हूं। मैं तो देश का सेवक हूं, देशवासियों को मेरा हिसाब देने आया हूं। देश की जनता को मेरे पल-पल का हिसाब देना, मैं अपना कर्तव्य मानता हूं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक संकटों की वजह से कुछ समस्याएं उत्पन्न हुईं, लेकिन हमने 12 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी देकर इसका असर किसानों पर नहीं पड़ने दिया। हमने कांग्रेस के मुकाबले कहीं अधिक पैसा किसानों तक पहुंचाया। अन्न भंडारण का विश्व का सबसे बड़ा अभियान हमने हाथ में लिया और इस दिशा में काम चल पड़ा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास के मंत्र पर हमने देश की विकास यात्रा को रफ्तार देने की कोशिश की है। आजादी के बाद अनेक दशकों तक जिनको कभी पूछा नहीं गया, हमारी सरकार उनको पूछती तो है, पूजती भी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दिव्यांग भाई-बहनों के साथ उनकी कठिनाइयों को समझते हुए गरिमापूर्ण जीवन की दिशा में काम किया है। हमारे समाज में किसी न किसी कारण से एक उपेक्षित वर्ग ट्रांसजेंडर वर्ग है। हमारी सरकार ने ट्रांसजेंडर साथियों के लिए कानून बनाने का काम किया है। पश्चिम के लोगों को भी आश्चर्य होता है कि भारत इतना प्रोग्रेसिव है। पद्म अवॉर्ड में भी ट्रांसजेंडर को अवसर देने में हमारी सरकार आगे आई।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा मानना है कि किसी भी सरकार के लिए हमारा संविधान लाइट हाउस का काम करता है, हमारा मार्गदर्शन करता है। 

जो घटना संदेशखाली में हुई, जिसकी तस्वीरें रोंगटे खड़े कर देने वाली हैं, लेकिन बड़े-बड़े दिग्गज जिनको मैं कल से सुन रहा हूं, पीड़ा उनके शब्दों में भी नहीं झलक रही है। इससे बड़ा शर्मिंदगी का चित्र क्या हो सकता है? जो लोग खुद को प्रगतिशील नारी नेता मानते हैं, वे भी मुंह पर ताले लगाकर बैठ गए हैं। क्योंकि घटना का संबंध उनके राजनीतिक जीवन से जुड़े दल से या राज्य से है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं किसी राज्य के खिलाफ नहीं बोल रहा हूं और न ही कोई राजनीतिक स्कोर करने के लिए बोल रहा हूं। कुछ समय पहले, मैंने बंगाल से आईं कुछ तस्वीरों को सोशल मीडिया पर देखा। एक महिला को वहां सरेआम सड़क पर पीटा जा रहा है, वो बहन चीख रही है। वहां खड़े हुए लोग उसकी मदद के लिए नहीं आ रहे है, वीडियो बना रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का दुर्भाग्य है कि संवेदनशील मामलों में जब राजनीति होती है, तो देशवासियों को और खासकर महिलाओं को अकल्प पीड़ा होती है। ये जो महिलाओं के साथ होते अत्याचार में विपक्ष का सेलेक्टिव रवैया है, यह चिंताजनक है।

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