उच्चतम न्यायालय ने 'अपहरण मामले' में भवानी रेवन्ना को दी गई अग्रिम जमानत रद्द करने से इन्कार किया

पीठ ने कहा, 'इस मामले का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए'

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नई दिल्ली/दक्षिण भारत। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को पूर्व जद (एस) सांसद और दुष्कर्म के आरोपी प्रज्ज्वल रेवन्ना की मां भवानी रेवन्ना को उनके बेटे की कथित यौन उत्पीड़न की पीड़िताओं में से एक के अपहरण मामले में दी गई अग्रिम जमानत को रद्द करने से इन्कार कर दिया।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली कर्नाटक सरकार की अपील पर रेवन्ना को नोटिस जारी किया।

कहा गया कि आरोपी 55 साल की महिला है। उनके बेटे पर भी जघन्य अपराध में संलिप्त होने के गंभीर आरोप हैं। वह भाग गया और आखिरकार पकड़ा गया।

कर्नाटक सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पीठ ने कहा, 'इस तरह के आरोपों के मामले में, अपने बेटे द्वारा किए गए अपराध को बढ़ावा देने में मां की क्या भूमिका होगी?'

सिब्बल ने कहा कि दी गई राहत 'अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण' है और पीड़िता को उनके परिवार के निर्देश पर बंधक बनाकर रखा गया था।

पीठ ने कहा, 'ऐसा कुछ नहीं है। इस मामले का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए।'

उच्च न्यायालय ने 18 जून को भवानी रेवन्ना को अग्रिम जमानत देते हुए इस बात पर जोर दिया था कि उन्होंने जांच के दौरान पहले ही 85 प्रश्नों के उत्तर दे दिए हैं, जिससे यह दावा करना अनुचित है कि वे एसआईटी के साथ सहयोग नहीं कर रही हैं।

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