केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में जवानों के 10 प्रतिशत पद पूर्व अग्निवीरों के लिए आरक्षित करने और उन्हें आयु सीमा में छूट देने की घोषणा उन युवाओं के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगी, जो अग्निवीर बनने के बाद अन्य बलों का हिस्सा बनना चाहते हैं। जून 2022 में जब अग्निपथ योजना लाई गई थी तो इसके विरोध में स्वर उठे थे। आज भी रक्षा विशेषज्ञ इस योजना के दोनों पहलुओं को लेकर राय जाहिर करते हैं। बेशक भारत के लाखों युवाओं का सपना है कि वे सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करें। अगर परमवीर चक्र, महावीर चक्र समेत विभिन्न वीरता पुरस्कार विजेताओं के बारे में जानने की कोशिश करें तो पाएंगे कि उनमें से ज्यादातर योद्धाओं के बचपन का सपना था कि वे सेना की वर्दी पहनकर सरहद पर जाएं। देश के कुछ इलाके तो ऐसे हैं, जो सैनिकों की वीरगाथाओं के कारण राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखते हैं। राजस्थान में शेखावाटी क्षेत्र के कई गांवों में नौजवान रोज़ाना सुबह-शाम दौड़ लगाते मिल जाएंगे, क्योंकि उनका सपना है सैनिक बनना। अग्निपथ योजना के कारण उनके मन में भी कई सवाल उठे थे। जो युवा सैनिक बनना चाहता है, उसके मन में बलिदान की भावना यकीनन होती है। इसके साथ वह अपने भविष्य को लेकर निश्चिंत भी होना चाहता है। हालांकि वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ कई बार यह स्पष्ट कर चुके हैं कि सेना रोजगार देने की स्कीम नहीं है। अगर किसी को रोजगार ही चाहिए तो कई विकल्प मौजूद हैं। सेना का काम है- देश की रक्षा करना, दुश्मन को शिकस्त देना, युद्ध जीतना। अगर इस उद्देश्य के लिए उसे कुछ बदलाव करने होंगे तो वह जरूर करेगी।
भारतीय सेना में बदलाव पहले भी होते रहे हैं। जहां तक अग्निपथ का सवाल है, तो कितनी प्रभावी सिद्ध होगी, यह जानने के लिए कुछ साल इंतजार करना चाहिए। जब सीआईएसएफ, बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवानों की भर्तियों में पूर्व अग्निवीरों को इतनी छूट दी जा रही है तो इससे उनका आत्मविश्वास निश्चित रूप से बढ़ेगा। चूंकि उनके पास सेना का अनुभव होगा, शारीरिक परीक्षा में भी छूट दी जाएगी, आयु सीमा में लाभ दिया जाएगा, तो स्वाभाविक रूप से उनके चयन की संभावना काफी ज्यादा होगी। इससे बल को प्रशिक्षित और अधिक अनुशासित कर्मी मिलेंगे। चयन के बाद जब उनका प्रशिक्षण होगा तो उसमें उन्हें काफी आसानी होगी। आज देश-दुनिया का रक्षा परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। नई चुनौतियां पैदा हो रही हैं। पचास वर्ष पहले जिस तरह युद्ध होते थे, अब वैसे नहीं होते। हर वर्ष नई तकनीक आ रही है। अगर भारत-पाक सरहद पर तस्करी की समस्या को देखें तो पहले पाकिस्तान की ओर से तस्कर चोरी-छिपे घुसने की कोशिशें करते थे। आज भी ऐसे मामले सामने आते हैं, लेकिन अब ड्रोन का इस्तेमाल किया जाने लगा है। अगर हम राष्ट्रीय सुरक्षा दशकों पुराने तौर-तरीकों से ही करेंगे तो मौजूदा चुनौतियों का पूरी शक्ति व सामर्थ्य से सामना नहीं कर पाएंगे। देश को मजबूत सेना की जरूरत हमेशा रहेगी। इससे बिल्कुल इन्कार नहीं किया जा सकता। उसके साथ अत्याधुनिक तकनीक का महत्त्व बढ़ता जाएगा। भारत की सुरक्षा के समक्ष चीन और पाकिस्तान सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। दोनों में इतना साहस तो नहीं है कि वे भारत से परंपरागत ढंग से युद्ध करें। चीन एलएसी पर उकसाने की कोशिशें करेगा और पाकिस्तान आतंकवादी भेजता रहेगा। इसके मद्देनजर हमारा सैन्य बल ऐसा होना चाहिए, जो चीन की उद्दंडता का सख्ती से जवाब दे और तकनीकी नजर इतनी पैनी होनी चाहिए, जो घुसपैठ कर रहे आतंकवादी की पहचान कर उसे वहीं ढेर कर दे। इसके लिए सेना में 'नए जोश' को शामिल करते हुए तकनीकी क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देना होगा। अब कोशिश यह होनी चाहिए कि अग्निवीरों के प्रदर्शन का अध्ययन किया जाए। जहां जरूरी हो, योजना में बदलाव/सुधार होना चाहिए। पूर्व अग्निवीरों के लिए अन्य भर्तियों में भी नियमों को आसान किया जाए।