सरकार ये 3 काम कर दे तो बीएसएनएल के आ जाएंगे अच्छे दिन!

बड़ी संख्या में लोग बीएसएनएल में सिम पोर्ट करवा रहे हैं

Photo: bsnlcorporate FB page

इन दिनों बीएसएनएल में सिम पोर्ट करवाने को इस तरह पेश किया जा रहा है, जैसे यह कोई 'स्वतंत्रता संग्राम' हो। लोग प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों से बहुत नाराज़ हैं, क्योंकि उन्होंने अपने शुल्क बढ़ा दिए। इसलिए लोग उन्हें अपनी 'ताक़त' दिखाना चाहते हैं। हो सकता है कि इससे प्राइवेट कंपनियों पर असर पड़े। असर कितना होगा, यह देखने के लिए थोड़ा इंतज़ार करना चाहिए, लेकिन इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि बहुत लोगों ने सिम पोर्ट करवा ली हैं।

मैं मानता हूँ कि यह पूरा मामला 'अपने फ़ायदे' से जुड़ा हुआ है। प्राइवेट कंपनियों ने इसलिए शुल्क बढ़ाए, क्योंकि उन्होंने अपना फ़ायदा देखा। लोग इसलिए सिम पोर्ट करवा रहे हैं, क्योंकि वे अपना फ़ायदा देख रहे हैं। अगर एक-दो हफ़्ते बाद बीएसएनएल की सेवाओं से असंतुष्ट हुए और प्राइवेट कंपनियों ने फिर कोई 'मुफ़्त वाली' स्कीम जारी कर दी तो दोबारा उनकी ओर दौड़ लगाएँगे।

अगर बीएसएनएल में सिम पोर्ट करवा ली या इस संबंध में विचार कर रहे हैं तो प्रधानमंत्री मोदीजी से इन 3 बातों की माँग कीजिए। 'मोदीजी से' इसलिए कह रहा हूँ, क्योंकि वे चाहें तो ऐसा ज़रूर हो सकता है।

1.  बीएसएनएल का नेटवर्क बेहतर हो। 

2. बीएसएनएल के कुछ कर्मचारी (सबके लिए नहीं कह रहा हूँ), जो सुस्त हैं, पुराने ढर्रे पर ही चलना चाहते हैं, जिनका जनता से बर्ताव अच्छा नहीं है, जो उसकी समस्याओं के समाधान में रुचि नहीं रखते, उनमें या तो सुधार किया जाए या उनकी 'छुट्टी' कर दी जाए। जनता को अधिकार मिले कि वह उनके काम को रेटिंग दे। भविष्य में वेतनवृद्धि के लिए इसको भी आधार बनाया जाए। जिसकी रेटिंग बहुत कम हो, उसकी सेवाएँ समाप्त कर दी जाएँ।

3. ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए अत्याधुनिक तकनीक इस्तेमाल की जाए, प्राइवेट कंपनियों से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की जाए। इस बात का इंतज़ार न किया जाए कि दूसरी कंपनियाँ कोई ऑफ़र लेकर आएँगी तो हम भी कुछ लाएँगे। आपको यह काम उनसे पहले करना है। इसके लिए हर अधिकारी व कर्मचारी की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। बीएसएनएल को आगे और सबसे आगे लेकर जाना सबकी ज़िम्मेदारी है। 

अगर मोदीजी ये 3 सुधार कर दें तो बीएसएनएल मज़बूत हो सकता है, होना भी चाहिए। जनता के पास ज़्यादा से ज़्यादा विकल्प होने चाहिएँ। 

एक और बात ... कंपनी सरकारी हो या प्राइवेट, उसे मज़बूत बनाएँ, लेकिन इतनी मज़बूत कभी न बनाएँ कि वह हमें ही कमज़ोर समझने लग जाए।

.. राजीव शर्मा ..

कोलसिया, झुंझुनूं, राजस्थान

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

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