'महाशक्ति' की गंभीर विकृतियां

अमेरिकी समाज में 'गन कल्चर' काफी जड़ें जमा चुका है

दुनिया के 'सबसे शक्तिशाली' देश में लोगों को किससे भय है?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर एक चुनावी रैली में किया गया हमला उनकी सुरक्षा में बड़ी लापरवाही को दर्शाता है। हालांकि संदिग्ध हमलावर को सुरक्षाकर्मियों ने मार गिराया, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि दुनिया के 'सबसे शक्तिशाली' देश की एजेंसियां यह कैसे नहीं भांप पाईं कि पूर्व राष्ट्रपति (जो एक बार फिर सर्वोच्च पद तक पहुंचने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं) पर कातिलाना हमला होने वाला है? कहा तो यह जाता है कि अमेरिका अंतरिक्ष की अनंत ऊंचाइयों से लेकर सागर की गहराइयों तक, हर जगह नजर रखता है! इसके बावजूद एक युवक बंदूक लेकर चला गया और उसने रैली स्थल से कुछ ही दूरी से पूर्व राष्ट्रपति को निशाना बनाने की कोशिश की। अमेरिका में 'गन कल्चर' है और बड़ी संख्या में लोग हथियार रखते हैं। वे इसे शानो-शौकत का प्रतीक मानते हैं। दुनिया के 'सबसे शक्तिशाली' देश में लोगों को किससे भय है? अतीत में कई बुद्धिजीवियों ने आवाज उठाई थी कि इस चलन को नियंत्रित किया जाए, हथियार रखने के नियमों को सख्त किया जाए। हथियार खरीदना जितना आसान है, उससे कहीं ज्यादा मुश्किल है उसे संभाल पाना। अमेरिका में कई बार देखा गया है कि लोगों ने आवेश में आकर हथियारों से बड़ी तबाही मचाई। वहां स्कूल, मॉल, रेस्टोरेंट, क्लब और सार्वजनिक स्थानों पर गोलीबारी की घटनाओं में बहुत लोग जान गंवा चुके हैं। आपसी रंजिश, रिश्तों में कड़वाहट या मानसिक तनाव भी भयावह गोलीकांड की वजह बन चुका है। इस 'गन कल्चर' के खिलाफ जब भी आवाजें उठीं, डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें खारिज किया। वे इस बात की हिमायत करते रहे कि अगर कोई व्यक्ति बंदूक जैसे हथियार खरीदने की क्षमता रखता है तो उसे खरीदना चाहिए।

प्यू रिसर्च के आंकड़े भी यही बताते हैं कि अमेरिकी समाज में 'गन कल्चर' काफी जड़ें जमा चुका है। अमेरिका के 10 में से 4 वयस्कों ने माना है कि वे ऐसे घरों में रहते हैं, जहां बंदूक है। जिनके घरों में एक बंदूक है, उनका आंकड़ा कम से कम 42 प्रतिशत है। ऐसे लोग 11 प्रतिशत हैं, जिनके पास अपनी कोई बंदूक नहीं है, लेकिन वे जिसके साथ रहते हैं, वह बंदूक रखता है। लगभग 48 प्रतिशत अमेरिकी वे हैं, जो ऐसे घरों में बड़े हुए, जिनमें एक बंदूक जरूर थी। वहीं, ऐसे लोगों की संख्या लगभग 72 प्रतिशत है, जिन्होंने अपने जीवन में कम से कम एक बार गोली जरूर चलाई। कई अमेरिकी यूट्यूबर हैं, जो अपने वीडियो में सिर्फ गोलियां चलाकर निशाना लगाते दिखाई देते हैं और उनके लाखों प्रशंसक हैं। एक राष्ट्र के रूप में अमेरिका का बंदूकों से गहरा संबंध है। अमेरिकी समाज के ताने-बाने में शामिल बंदूकें कई लोगों के लिए गर्व का विषय बनी हुई हैं। चाहे शिकार के लिए, खेल शूटिंग के लिए या व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए, अधिकांश बंदूक मालिक हथियार रखने के अधिकार को अपनी स्वतंत्रता से जोड़कर देखते हैं। अमेरिका में वर्ष 1968 से आज तक गोलीबारी की घटनाओं में 15 लाख से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। कोरोना महामारी के दौरान विशेष रूप से बंदूक से हत्याओं में तेजी से वृद्धि हुई थी। ये वर्ष 2019 और 2021 के बीच 45 प्रतिशत बढ़ गईं, जबकि उस अवधि में बंदूक से आत्महत्या के मामले 10 प्रतिशत बढ़ गए थे। छोटे बच्चों और किशोरों में बंदूक से होने वाली मौतों में केवल दो वर्षों में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई। अमेरिकी नेता बंदूकों से लोगों के गहरे लगाव पर सख्त बयान देने से परहेज करते हैं। चूंकि इससे उनका वोटबैंक नाराज हो सकता है। आर्थिक दृष्टि से संपन्न और 'महाशक्ति' अमेरिका के सामाजिक ताने-बाने में गंभीर विकृतियां पैदा हो गई हैं। अगर समय रहते इन्हें नहीं सुधारा गया तो नतीजे ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं।

About The Author: News Desk