कन्नड़ लोगों के लिए निजी क्षेत्र में आरक्षण: अश्वत्थ नारायण बोले- पहले चर्चा हो, उसके बाद ही ...

उन्होंने कहा कि विधेयक वापस लेने का सरकार का निर्णय सराहनीय है

Photo: drashwathnarayan FB page

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। सिद्दरामैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार द्वारा निजी क्षेत्र में कन्नड़ लोगों के लिए आरक्षण संबंधी विवादास्पद विधेयक को ठंडे बस्ते में डालने संबंधी कदम पर भाजपा नेता डॉ. सीएन अश्वत्थ नारायण ने टिप्पणी की है।

उन्होंने कहा कि कन्नड़ लोगों के लिए आरक्षण के संबंध में विधेयक वापस लेने का सरकार का निर्णय सराहनीय है।

भाजपा नेता ने कहा कि पहले विचार-विमर्श और चर्चा हो। उसके बाद ही हम आगे बढ़ सकते हैं। इसमें श्रम मंत्री का क्या स्वार्थ था?

उन्होंने कहा कि श्रम मंत्री के बहुत सारे निहित स्वार्थ हैं। वे बहुत सारी शरारतें करने की कोशिश कर रहे हैं।

बता दें कि मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने बुधवार को ही 'एक्स' पर अपनी पोस्ट हटा दी थी, जिसमें उन्होंने विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी की पुष्टि की थी, जो राज्य के सभी निजी संस्थानों में 'सी और डी' ग्रेड के पदों के लिए '100 प्रतिशत' कन्नड़ लोगों की भर्ती अनिवार्य करता था। 

मुख्यमंत्री ने उस पोस्ट में लिखा था कि कैबिनेट बैठक में राज्य के सभी निजी उद्योगों में 'सी और डी' ग्रेड के पदों पर 100 प्रतिशत कन्नड़ लोगों को नियुक्त करना अनिवार्य करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी गई है। 

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की इच्छा है कि कन्नड़ लोगों को कन्नड़ भूमि पर नौकरियों से वंचित न होना पड़े और उन्हें मातृभूमि में एक आरामदायक जीवन जीने की अनुमति दी जाए। हम कन्नड़ समर्थक सरकार हैं। हमारी प्राथमिकता कन्नड़ लोगों के कल्याण का ध्यान रखना है।

इस पोस्ट पर उद्योग जगत की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई ​थी।

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