नई दिल्ली/दक्षिण भारत। संसद में सोमवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में कहा गया है कि वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत की जीडीपी चालू वित्त वर्ष में 6.5 से 7 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है, जिसका निर्यात पर असर पड़ सकता है।
वर्ष 2024-25 के लिए अनुमानित वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष के लिए अनुमानित 8.2 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर से कम है।
रिजर्व बैंक ने मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
आईएमएफ और एडीबी जैसी वैश्विक एजेंसियों का अनुमान है कि भारत की विकास दर 7 प्रतिशत रहेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश दस्तावेज में कहा गया है, 'सर्वेक्षण में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.5-7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जिसमें जोखिम को संतुलित रखा गया है, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि बाजार की उम्मीदें उच्च स्तर पर हैं।'
इसने कहा कि अनिश्चित वैश्विक आर्थिक प्रदर्शन के बावजूद घरेलू विकास चालकों ने 2023-24 में आर्थिक विकास का समर्थन किया है। बेहतर बैलेंस शीट से निजी क्षेत्र को मजबूत निवेश मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।
सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि पिछले तीन वर्षों में अच्छी वृद्धि के बाद निजी पूंजी निर्माण थोड़ा अधिक सतर्क हो सकता है, क्योंकि अतिरिक्त क्षमता वाले देशों से सस्ते आयात की संभावना है।