नई दिल्ली/दक्षिण भारत। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को लगातार सातवां बजट पेश करेंगी, जिसमें वर्ष 2047 तक विकसित भारत का रोडमैप होगा और पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार के प्रदर्शन की झलक भी होगी।
सभी की निगाहें इस बात पर टिकी होंगी कि क्या सीतारमण मध्यम वर्ग को बहुप्रतीक्षित कर राहत प्रदान करती हैं, जिससे उनके हाथों में अधिक पैसा बचेगा? इसके अलावा, बाजार को यह भी उम्मीद है कि राजकोषीय घाटे को वर्ष 2025-26 तक जीडीपी के 4.5 प्रतिशत तक कम करने के लिए राजकोषीय ग्लाइड पथ पर बने रहना होगा।
राजकोषीय घाटा: चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में अनुमानित राजकोषीय घाटा, जो सरकारी व्यय और आय के बीच का अंतर है, फरवरी में अंतरिम बजट में अनुमानित 5.1 प्रतिशत है, जबकि पिछले वित्तवर्ष में यह 5.8 प्रतिशत था। पूर्ण बजट में पहले की तुलना में बेहतर अनुमान दिए जाने की उम्मीद है, क्योंकि कर में उछाल आया है।
पूंजीगत व्यय: इस वित्तीय वर्ष के लिए सरकार का नियोजित पूंजीगत व्यय 11.1 लाख करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है, जो पिछले वित्तीय वर्ष के 9.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक है। सरकार बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जोर दे रही है और राज्यों को पूंजीगत व्यय बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित भी कर रही है।
कर राजस्व: अंतरिम बजट में 2024-25 के लिए सकल कर राजस्व 38.31 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान लगाया गया था, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 11.46 प्रतिशत अधिक है। इसमें प्रत्यक्ष करों (व्यक्तिगत आयकर + कॉर्पोरेट कर) से आने वाले अनुमानित 21.99 लाख करोड़ रुपए और अप्रत्यक्ष करों (सीमा शुल्क + उत्पाद शुल्क + जीएसटी) से आने वाले 16.22 लाख करोड़ रुपए शामिल हैं।
जीएसटी: वर्ष 2024-25 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 11.6 प्रतिशत बढ़कर 10.68 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2024-25 के अंतिम बजट में कर राजस्व के आंकड़ों पर नजर रखनी होगी।