नरमी के हकदार नहीं धोखेबाज

छल-कपट, धोखा, जबर्दस्ती जैसी कोशिशें हर दृष्टि से निंदनीय हैं

हर किसी से उम्मीद की जाती है कि वह अपने मामलों में पाक-साफ, सच्चा और ईमानदार हो

छल-कपट और जबर्दस्ती धर्मांतरण के कई मामले सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश का विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024 एक मिसाल बन सकता है, जिसमें उम्रकैद तक के प्रावधान किए गए हैं। अब तो हर महीने ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें किसी महिला को धोखा देकर या उसका धर्मांतरण करवाकर शादी करना पाया गया। जब तक महिला को असलियत पता चली, बहुत देर हो चुकी थी। कुछ मामलों में तो रिश्तों का अंत बहुत भयानक तरीके से हुआ। छल-कपट, धोखा, जबर्दस्ती जैसी कोशिशें हर दृष्टि से निंदनीय हैं। कोई व्यक्ति नहीं चाहता कि उसके साथ लेनदेन, कारोबार, दोस्ती या किसी भी काम में धोखा हो। हर किसी से उम्मीद की जाती है कि वह अपने मामलों में पाक-साफ, सच्चा और ईमानदार हो। क्या यही उम्मीद उस समय नहीं की जानी चाहिए, जब दो लोग हमसफर बनने का फैसला करें? कुछ 'बुद्धिजीवी' उत्तर प्रदेश के इस कानून की यह कहते हुए आलोचना कर रहे हैं कि इसके प्रावधान ज्यादा ही सख्त हैं। क्या उनके पास इस सवाल का जवाब है कि ऐसे किसी मामले में पीड़ित महिला को इन्साफ कैसे मिलेगा? छल-कपट, धोखा, असल पहचान छिपाना और जबर्दस्ती धर्मांतरण करवाकर शादी करने के कई मामले तो इसलिए भी सामने नहीं आते, क्योंकि पीड़ित महिलाएं खुद पर कई तरह के दबाव महसूस करती हैं। उनके लिए अपने मां-बाप के पास लौटना आसान नहीं होता। सख्त कानून के अभाव में उन्हें इन्साफ मिलने का भी भरोसा नहीं होता। आखिर कोई पीड़िता जाए तो कहां जाए? उप्र में यह कानून उन्हें ताकत देगा। होना तो यह चाहिए कि कोई भी बेटी शादी जैसे मामले में धोखे की शिकार न हो, लेकिन मंगल कामनाएं करने मात्र से तो अपराध नहीं रुकते। जब तक अपराधियों को कठोर दंड नहीं मिलेगा, उनका दुस्साहस बढ़ता रहेगा।

यह एक कड़वी हकीकत है कि कई महिलाओं के साथ इस किस्म का धोखा हो चुका है। इनमें सामान्य शिक्षित से लेकर उच्च शिक्षित महिलाएं भी हैं। उनके साथ फर्जी पहचान के आधार पर रिश्ता जोड़ा गया। उसके बाद दबाव बनाकर शादी की गई। जब असलियत सामने आई, तब पीड़िता को एहसास हुआ कि उसके साथ बहुत बड़ा धोखा हो गया! अब वह क्या करे? अगर मां-बाप और रिश्तेदारों को आपबीती बताए तो यह भी सुनने को मिलता है कि तुमने ही अपनी मर्जी से शादी की थी। ऐसे मामलों में पीड़िता मानसिक रूप से बहुत परेशान रहती है। जो शख्स उसे धोखा देता है, वह पहले ही पूरी साजिश रच चुका होता है। प्राय: वह उसकी जमा-पूंजी ले उड़ता है। यही नहीं, कई मामलों में तो आपत्तिजनक तस्वीरें खींचने और वीडियो रिकॉर्ड करने तक की बातें सामने आई हैं, ताकि यह कहते हुए पीड़िता पर दबाव बना सके कि अगर पोल खोली तो यह सामग्री इंटरनेट पर प्रसारित कर दी जाएगी। ऐसे ज्यादातर मामलों में एक बात सबमें मिलती है, वह है- शादी के लिए लुभाना। इसके लिए अपराधी तरह-तरह के हथकंडे अपनाता है। वह प्रेम का झूठा नाटक करता है। कई जगह तो ऐसा देखा गया कि एक ही व्यक्ति दो या इससे ज्यादा महिलाओं को धोखा दे रहा था। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में एक ऐसा मामला सामने आया था, जिसमें एक युवक ने युवती को अपने प्रेमजाल में फंसाया, मंदिर में शादी की, एक साल तक उसका शोषण किया। जब युवती ने बच्‍चे को जन्म दिया, तब उसे बताया कि वह असल में कौन है! ऐसे धोखेबाज किसी किस्म की नरमी के हकदार नहीं हैं। जब वे कठोर कानून से दंडित होंगे तो ऐसी मानसिकता रखने वाले अन्य लोगों को भी सबक मिलेगा। देश में इस तरह की घटनाओं की एक वजह अपने धर्म और संस्कृति से दूर होना भी है। हमारे ऋषियों ने विवाह करने से पूर्व गौत्र टालने का जो नियम बनाया, अगर उसी पर ठीक तरह से अमल कर लें तो संबंधित व्यक्ति की 'सच्चाई' सामने आ सकती है। बड़े-बुजुर्ग रिश्ता तय करने से पहले संबंधित व्यक्ति के पिछले चार पुरखों का नाम मालूम करते थे। अपने स्तर पर पूरी 'छानबीन' करने के बाद ही बात आगे बढ़ाते थे। आज कोरी भावुकता और फिल्मी प्रेम कहानियां ज्यादा हावी हैं, जिसके नतीजे सबके सामने हैं।

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