नई दिल्ली/दक्षिण भारत। लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा है कि जिन कट्टरपंथियों ने उन्हें बांग्लादेश से बाहर निकाला था, उन्हीं ने शेख हसीना को भागने को मजबूर किया है। तस्लीमा को 1990 के दशक में उनकी पुस्तक 'लज्जा' को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद देश से निर्वासित कर दिया गया था।
सोमवार को हसीना ने अपनी सरकार के विवादास्पद कोटा सिस्टम के खिलाफ़ जनता के भारी गुस्से के बीच इस्तीफ़ा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं। कोटा सिस्टम के तहत वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम में लड़ने वाले लोगों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित की गई थीं। विरोध प्रदर्शनों में 400 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं।
शेख हसीना की स्थिति को विडंबनापूर्ण बताते हुए तस्लीमा नसरीन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'हसीना ने कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए वर्ष 1999 में मुझे मेरे देश से बाहर निकाल दिया था।'
उन्होंने कहा, 'जब मैं अपनी मां को उनकी मृत्युशैया पर देखने के लिए बांग्लादेश में दाखिल हुई थी और मुझे फिर कभी देश में प्रवेश नहीं करने दिया गया।'
तस्लीमा ने कहा, 'वही कट्टरपंथी छात्र आंदोलन में शामिल रहे हैं, जिन्होंने आज हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया।'