ढाका/दक्षिण भारत। बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने 7 जनवरी के राष्ट्रीय चुनाव के जरिए गठित 12वीं संसद को भंग कर दिया।
एक प्रेस विज्ञप्ति में बंगभवन ने कहा, 'संसद को भंग करने का निर्णय राष्ट्रपति द्वारा सशस्त्र बलों के तीनों प्रमुखों, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं, नागरिक समाज के प्रतिनिधियों और भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के नेताओं के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया गया।'
यह भी जानकारी दी गई है कि बीएनपी अध्यक्ष खालिदा जिया को रिहा कर दिया गया है। इसके अलावा, 1 जुलाई से अगस्त के बीच गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कई लोगों को पहले ही रिहा कर दिया गया है।
बांग्लादेशी संविधान के अनुसार, संसद के सदस्यों का आम चुनाव, उसकी अवधि समाप्त होने के कारण विघटन की स्थिति में, ऐसे विघटन से पूर्व नब्बे दिन के भीतर कराया जाएगा; और ऐसी अवधि समाप्त होने के अलावा किसी अन्य कारण से विघटन की स्थिति में, ऐसे विघटन के पश्चात नब्बे दिन के भीतर कराया जाएगा।
बांग्लादेश में छिड़ी हिंसा के बीच खालिदा जिया के 'अच्छे दिन' आ गए हैं, जिनकी कट्टर प्रतिद्वंद्वी शेख हसीना प्रधानमंत्री पद छोड़कर चली गई हैं। अभी सेना ने सत्ता संभाल रखी है।
एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन, तीनों सेनाओं के प्रमुखों, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं, नागरिक समाज के प्रतिनिधियों और भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के नेताओं के बीच बैठक के बाद खालिदा जिया को रिहा कर दिया गया।
79 वर्षीया पूर्व प्रधानमंत्री लंबे समय से विभिन्न बीमारियों से जूझ रही हैं, जिनमें लीवर सिरोसिस, गठिया, मधुमेह, तथा गुर्दे, फेफड़े, हृदय और आंखों से संबंधित समस्याएं शामिल हैं।
साल 2020 में जेल से सशर्त रिहाई के बाद से, बीएनपी प्रमुख को हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर शहाबुद्दीन तालुकदार की अध्यक्षता वाले मेडिकल बोर्ड की देखरेख में अस्पताल में बार-बार चिकित्सा देखभाल मिल रही है।
नवंबर 2021 में लीवर सिरोसिस का पता चलने के बाद से खालिदा के डॉक्टर उन्हें विदेश भेजने की सलाह दे रहे हैं।
8 फरवरी, 2018 को जिया अनाथालय ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में निचली अदालत द्वारा पांच साल की कैद की सजा सुनाए जाने के बाद खालिदा को पुरानी ढाका जेल भेज दिया गया था। बाद में, उसी वर्ष उन्हें एक अन्य भ्रष्टाचार मामले में दोषी पाया गया था।
कोरोना महामारी के बीच, सरकार ने 25 मार्च, 2020 को खालिदा जिया की सजा को निलंबित करते हुए एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से उन्हें अस्थायी रूप से जेल से मुक्त कर दिया। शर्त यह रखी गई कि वे अपने गुलशन हाउस में रहेंगी और देश नहीं छोड़ेंगी।