'प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना' को हर घर तक तेजी से पहुंचाने की जरूरत है। आम लोगों को सोशल मीडिया के जरिए यह तो जानकारी मिल गई है कि सूर्य की किरणों में ऐसी शक्ति है, जो बिजली बना सकती है, लेकिन आज भी गांव-ढाणियों में लोगों को सौर पैनल स्थापित करने के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। लोगों को पर्याप्त जानकारी उपलब्ध कराने और घर-घर तक सौर ऊर्जा पहुंचाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 30,000 युवाओं को 'सूर्य मित्र' के तौर पर प्रशिक्षित करने का फैसला इस दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे एक ओर जहां युवाओं के लिए रोजगार के कई रास्ते खुलेंगे, वहीं लोगों तक सही जानकारी भी पहुंचेगी और छत पर सौर पैनल लगवाने में आसानी होगी। जब ये युवा प्रशिक्षण लेकर मैदान में उतरेंगे तो उत्तर प्रदेश के पास बहुत सक्षम कार्यबल होगा। कालांतर में इसके अनुभवों का लाभ लेते हुए अन्य राज्यों के युवाओं को भी प्रशिक्षित किया जा सकता है। भारत में साल के ज्यादातर दिनों में अच्छी-खासी धूप होती है। सूर्य देवता हम पर इतनी कृपा बरसा रहे हैं तो हमारा कर्तव्य है कि इसका विवेकपूर्वक उपयोग करें। देश में कई-कई बीघा जमीन ऐसी है, जहां या तो खेती नहीं होती या एक ही फसल होती है। वहीं, ज्यादातर घरों की छतें भी या तो खाली पड़ी होती हैं या उन पर ऐसा सामान रखा होता है, जो रोजाना काम में नहीं आता। इस खाली जगह का सदुपयोग सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है। दुनिया में कई देश ऐसे हैं, जिनका क्षेत्रफल कम है, लेकिन सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने में उनकी प्रगति उल्लेखनीय है।
जापान, जिसे उगते सूर्य का देश कहा जाता है, ने इस क्षेत्र में पिछले एक दशक में बहुत प्रगति की है। जर्मनी, स्पेन, दक्षिण कोरिया जैसे देशों की प्रगति भी मिसाल बन चुकी है। चीन ने सबको चौंकाया है। विभिन्न रिपोर्टें बताती हैं कि वह अमेरिका से भी बाज़ी ले गया। भारत में राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु में बनाए गए बड़े सोलर पार्क देश की ऊर्जा जरूरतें पूरी करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हालांकि अभी बहुत कुछ करने की गुंजाइश है। बड़े सोलर पार्क स्थापित करने के लिए भारी निवेश करना होता है, वहीं उसके रखरखाव के लिए भी कार्यबल तैनात करना पड़ता है। अगर हर घर की छत पर सौर पैनल लगाया जाए तो उपभोक्ता को उसके खर्च पर सब्सिडी जरूर देनी होती है, लेकिन रखरखाव काफी आसान हो जाता है। उपभोक्ता को जितनी यूनिट बिजली की जरूरत होगी, वह इस्तेमाल करेगा, बाकी विद्युत वितरण कंपनी को दे देगा। इससे देश के ज्यादातर घरों का बिजली बिल बहुत कम या शून्य हो सकता है। याद करें, एक दशक पहले देश के कई इलाकों में बिजली कटौती के विरोध में खूब धरने-प्रदर्शन होते थे। आज स्थिति बहुत बेहतर हो गई है। भविष्य में बिजली कटौती जैसी बातें इतिहास की किताबों में ही पढ़ने को मिलेंगी। हर परिवार अपने लिए खुद बिजली उत्पादनकर्ता बन जाएगा। सरकार को चाहिए कि वह पहले हर घर तक सौर पैनल पहुंचाए। उसके बाद रसोईघर को भी सौर चूल्हे से जोड़े। बेशक सरकार ने दूर-दराज के उन घरों तक गैस सिलेंडर पहुंचा दिए, जहां पहले लकड़ी के चूल्हे जलाए जाते थे। अब देश को एक बड़ी रसोई क्रांति की जरूरत है। गैस सिलेंडर और चूल्हे की जगह सौर चूल्हा अधिक सुरक्षित है। यह पर्यावरण के अधिक अनुकूल है। इससे विदेशी मुद्रा भंडार की बचत भी होगी। इसके लिए अभी से जनता को जागरूक करना शुरू कर देंगे तो भविष्य में काफी आसानी होगी।