नई दिल्ली/दक्षिण भारत। उच्चतम न्यायालय ने भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा मांगी गई माफी स्वीकार करने के बाद उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही मंगलवार को बंद कर दी।
योग गुरु बालकृष्ण और कंपनी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील गौतम तालुकदार ने कहा, 'अदालत ने रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा दिए गए आश्वासन के आधार पर अवमानना की कार्यवाही बंद कर दी है।'
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने 14 मई को इस मामले में रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को जारी अवमानना नोटिस पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
शीर्ष न्यायालय भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा पद्धति के खिलाफ बदनाम करने वाला अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है।
शीर्ष न्यायालय ने 27 फरवरी को पतंजलि आयुर्वेद और प्रबंध निदेशक बालकृष्ण को नोटिस जारी कर पूछा था कि कंपनी द्वारा अपने उत्पादों के विज्ञापन और उनकी औषधीय प्रभावकारिता के बारे में अदालत में पहले दिए गए वचन का प्रथम दृष्टया उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।
न्यायालय ने 19 मार्च को कहा था कि रामदेव को कारण बताओ नोटिस जारी करना उचित समझा गया, क्योंकि पतंजलि द्वारा जारी विज्ञापन, जो 21 नवंबर, 2023 को अदालत को दिए गए वचन के विपरीत हैं, उनके द्वारा समर्थन को दर्शाते हैं।