अखंड भारत: कैसे, किसके लिए?

पाकिस्तान की बुनियाद ही गलत है

जब कभी 'अखंड भारत' बनाने की बात की जाती है तो उसके उल्लेख मात्र से पाकिस्तान भड़क उठता है

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महान आध्यात्मिक गुरु महर्षि अरविंद का उल्लेख करते हुए पाकिस्तान के बारे में जो टिप्पणी की, वह हर भारतीय के लिए विचारणीय है। निस्संदेह आध्यात्मिक जगत में पाकिस्तान कोई वास्तविकता नहीं है। उसका आधार 'भारत से नफरत' और 'हिंदुओं से नफरत' है। 

पाकिस्तान की बुनियाद ही गलत है, लिहाजा आज उसके हर क्षेत्र में अव्यवस्था और अराजकता का माहौल है। हमें यह याद रखना चाहिए कि आज जिसे पाकिस्तान कहा जाता है, वह कुछ दशक पहले भारतभूमि थी, जिसका हमारी सांस्कृतिक व आध्यात्मिक परंपराओं से गहरा संबंध रहा है। हमारे कई प्राचीन मंदिर और ऐतिहासिक धरोहर से संबंधित स्थान वहीं रह गए। 

जब कभी 'अखंड भारत' बनाने की बात की जाती है तो उसके उल्लेख मात्र से पाकिस्तान भड़क उठता है। ऐसा स्वाभाविक है, लेकिन 'अखंड भारत' हमारा लक्ष्य होना ही चाहिए। भले ही उसकी प्राप्ति में कुछ वर्ष या दशक और लग जाएं। यहूदियों को अपनी पवित्र भूमि इजराइल कितने वर्षों बाद मिली थी? वे दुनियाभर में कब तक कष्टों और अत्याचारों का सामना करते रहे थे? यहूदियों ने भयंकर उत्पीड़न भोगा, लेकिन अपने पूर्वजों की पवित्र भूमि और उसके स्थानों को नहीं भूले। आखिरकार वे कामयाब हुए। 

पाकिस्तान बने हुए तो आठ दशक भी नहीं हुए। उसका एक विभाजन हो चुका है। हालांकि उसने इससे कोई सबक नहीं लिया। वह अपनी पहचान को लेकर ही भारी भ्रम में है। इससे बहुत गड़बड़ हुई है। प्राय: पाकिस्तानी खुद को अरब कहलवाना पसंद करते हैं। उनके कई तबके अपनी जड़ें अफगानिस्तान और ईरान से भी जोड़ते हैं। आसान शब्दों में कहें तो पाकिस्तान का मतलब है- हिंदू और हिंदुस्तान के साथ अपने संबंधों से इन्कार करना! यह प्रवृत्ति आज उसका 'राष्ट्रीय चरित्र' बन चुकी है।

एक मशहूर पाकिस्तानी लेखक इस फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ कुछ इस तरह करते हैं कि उन्हें बचपन से यही रटाया गया था कि वे अरब हैं, उनका भारतीय संस्कृति से कोई संबंध नहीं है। एक बार उन्होंने जिज्ञासावश अपना डीएनए टेस्ट करवाया तो पता चला कि उनका अरबों से दूर-दूर तक कोई रक्तसंबंध नहीं है। उनके पूर्वज अविभाजित भारत के पंजाब से थे! 

पाकिस्तान के बारे में यह कहा जाता है (योगी आदित्यनाथ ने भी कहा था) कि या तो उसका भारत में विलय होगा या वह हमेशा के लिए समाप्त होगा! अगर भविष्य में इन दोनों में से कोई स्थिति पैदा होती है तो भारतवासियों को उसके नतीजों के संबंध में जानकारी होना जरूरी है। क्या पाकिस्तानी इस योग्य हैं कि उन्हें 'अखंड भारत' का हिस्सा बनाया जाए? आज के पाकिस्तानी वे लोग हैं, जिनके दिलो-दिमाग में भारत से नफरत भरी हुई है। वे बहुसांस्कृतिक समाज में रहना नहीं जानते। उन्होंने अपने देश से अल्पसंख्यकों को लगभग समाप्त कर दिया। वे पश्चिमी देशों में जाते हैं तो रोज नया बखेड़ा करते हैं। 

यूरोप के जो देश कभी अपनी शांति और खुशहाली के लिए जाने जाते थे, आज वहां हुड़दंग मचा हुआ है, जिसमें पाकिस्तानी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। अगर ऐसे एक हजार लोग भी इधर आ गए और उन्हें पूरे देश में विचरण करने की अनुमति मिल गई तो वे भारत की सुरक्षा व सामाजिक सौहार्द के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। 

अगर दूसरी स्थिति (भविष्य में पाकिस्तान का अस्तित्व न रहे) पर विचार करें तो इसमें भारत के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। यह पड़ोसी देश नहीं रहेगा तो क्या हुआ, उसके नागरिक तो रहेंगे! पाकिस्तान के समाप्त होने से उनका हृदय-परिवर्तन नहीं हो जाएगा। उनमें कट्टरपंथ, रूढ़िवाद, नफरत और आतंकवाद जैसे तत्त्व तो मौजूद रहेंगे। ऐसे लोग जहां भी जाएंगे, वहां शांति से नहीं रहेंगे। 

सवाल है- तो समाधान क्या हो सकता है? इसका जवाब है- सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति। जो लोग इनके ध्वज की छाया में होंगे, वे किसी के लिए खतरा नहीं बन सकते। सनातनी जिस भी देश में जाते हैं, उसके कानून और मान्यताओं का पूरा सम्मान करते हैं। ऐसे लोगों के लिए भारत में भी सम्मान सहित रास्ते खोले जा सकते हैं।

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