राज्यपाल को केंद्र सरकार के नहीं, राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में काम करना चाहिए: सिद्दरामैया

सिद्दरामैया ने कहा, 'राज्यपाल एक संवैधानिक पद है और हम इसका सम्मान करते हैं'

Photo: Siddaramaiah.Official FaceBook Page

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने मंगलवार को कहा कि राज्यपाल थावरचंद गहलोत को केंद्र सरकार के प्रतिनिधि की तरह नहीं, बल्कि भारत के राष्ट्रपति के प्रतिनिधि की तरह काम करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि राज्यपाल को अभियोजन की मंजूरी देने के मामले में ‘चुन-चुनकर’ निर्णय नहीं लेना चाहिए तथा चयनात्मक नहीं होना चाहिए।

सिद्दरामैया ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'राज्यपाल एक संवैधानिक पद है और हम इसका सम्मान करते हैं। हमारा कहना है कि उन्हें केंद्र सरकार के नहीं, बल्कि भारत के राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में काम करना चाहिए।'

गहलोत ने 16 अगस्त को मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण जमीन आवंटन घोटाले के संबंध में सिद्दरामैया के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत जांच और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्नाटक लोकायुक्त ने श्री साईं वेंकटेश्वर खनिज मामले के संबंध में 23 नवंबर, 2023 को केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी पर मुकदमा चलाने के लिए राज्यपाल की मंजूरी मांगी थी, लेकिन अब तक कोई अनुमति नहीं दी गई है।

सिद्दरामैया ने यह भी कहा कि राज्यपाल ने लोकायुक्त को पूर्व भाजपा मंत्रियों शशिकला जोले, मुरुगेश निरानी और जी जनार्दन रेड्डी के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी।

सिद्दरामैया ने कहा, 'दूसरी ओर, टीजे अब्राहम ने 26 जुलाई को सुबह 11 बजे राज्यपाल के समक्ष मेरे खिलाफ (निजी) शिकायत दर्ज कराई और 10 घंटे बाद मुझे कारण बताओ नोटिस भेजा गया। क्या यह भेदभाव नहीं है? यही कारण है कि राज्यपाल को 'चुनने' का इस्तेमाल नहीं करने और चुनिंदा तरीके से ऐसा नहीं करने के लिए कहा गया।'

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