कीव/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यूक्रेन यात्रा के दौरान कीव में कहा कि युद्ध में सबसे पहले सत्य की बलि चढ़ती है। जब मैंने युद्ध में मारे गए बच्चों की याद में बनाए गए संग्रहालय का दौरा किया, तो मुझे एहसास हुआ कि युद्ध में सबसे पहले मासूम बच्चे ही बलि चढ़ते हैं। यह बहुत दर्दनाक है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दर्दनाक परिस्थितियों के बीच आपने जिस गर्मजोशी के साथ मेरा और मेरे डेलिगेशन का स्वागत किया, इसके लिए मैं हृदय से आपका आभार व्यक्त करता हूं। आज का दिन भारत और यूक्रेन के संबंधों के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि भारत का प्रधानमंत्री आज पहली बार यूक्रेन की धरती पर आया है। यह अपने आप में एक ऐतिहासिकत घटना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यूक्रेन और भारत के रिश्तों में यह एक ऐतिहासिक दिन है। ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री ने पहली बार यूक्रेन की धरती पर कदम रखा है। मैं आज आदरपूर्वक अपनी भावना को व्यक्त करना चाहता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब युद्ध के प्रारंभिक दिन थे, भारत के हजारो बच्चे जो यहां शिक्षा के लिए आए थे, वे युद्ध के कारण फंसे हुए थे, उन्हें बाहर निकालने में मेरी मदद की और जिस संवेदनशीलता के साथ हमारी चिंताओं को आपने समझा और सुलझाने का भरसक प्रयास किया, इसके लिए मेरी तरफ से और 140 करोड़ मेरे देशवासियों की तरफ से और संकट की घड़ी से निकले बच्चों व उनके परिवारजन की तरफ से मैं हृदय से आपका आभार व्यक्त करता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने युद्ध से दूर रहने का फैसला किया, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम तटस्थ थे। पहले दिन से ही हम शांति के पक्ष में थे। हम बुद्ध की धरती से आते हैं, जहां युद्ध के लिए कोई जगह नहीं है। हम महात्मा गांधी की धरती से आते हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया को शांति का संदेश दिया। मैं यहां शांति का संदेश लेकर आया हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आप और यूक्रेन के लोग भी जानते हैं कि भारत का शांति प्रयासों में सक्रिय योगदान रहा है और आप भी जानते हैं कि हमारा दृष्टिकोण लोगों पर केंद्रित रहा है। मैं आपको और पूरे विश्व समुदाय को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि यह भारत की प्रतिबद्धता है और हम मानते हैं कि संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हमारे लिए सर्वोपरि है और हम इसका समर्थन करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ समय पहले, जब मैं इसके समर्थन में राष्ट्रपति पुतिन से मिला था, तो मैंने उनसे कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है। पिछले दिनों, जब मैं एक बैठक के लिए रूस गया था, तो मैंने वहां भी स्पष्ट शब्दों में कहा था कि किसी भी समस्या का समाधान कभी भी रणभूमि में नहीं होता है। समाधान केवल बातचीत, संवाद और कूटनीति के माध्यम से होता है और हमें बिना समय बर्बाद किए उस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों को एकसाथ बैठना चाहिए और इस संकट से बाहर आने के रास्ते तलाशने होंगे। आज मैं यूक्रेन की धरती पर आपके साथ शांति और आगे बढ़ने के मार्ग पर विशेष रूप से चर्चा करना चाहता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं कि भारत शांति के हर प्रयास में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है। अगर मैं व्यक्तिगत रूप से इसमें योगदान दे सकता हूं, तो मैं ऐसा जरूर करना चाहूंगा। एक मित्र के रूप में, मैं आपको इसका विश्वास दिलाता हूं।