दलित, पिछड़े वर्ग के संतों ने सिद्दरामैया को बिना शर्त नैतिक समर्थन देने की घोषणा की

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा गया कि सरकार को कृत्रिम रूप से अस्थिर करने की कोशिशें हो रही हैं

Photo: Siddaramaiah.Official FB Page

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। दलित और पिछड़े वर्ग के संतों के संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामैया से मुलाकात की और राज्यपाल द्वारा एमयूडीए 'घोटाले' के सिलसिले में उनके खिलाफ अभियोजन की मंजूरी दिए जाने के मद्देनजर अपना 'बिना शर्त नैतिक समर्थन' घोषित किया।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, 'सरकार को कृत्रिम रूप से अस्थिर करने की केंद्र सरकार और राजभवन की साजिशों की कड़ी निंदा करते हुए, स्वामीजी ने घोषणा की कि वे एकजुट होकर मुख्यमंत्री सिद्दरामैया के पक्ष में इस साजिश के खिलाफ लड़ेंगे।'

मुख्यमंत्री से मिलने वाले संतों के प्रतिनिधिमंडल में कागिनेले कनक गुरु पीठ के जगद्गुरु श्री निरंजनानंद पुरी स्वामीजी, श्री जगद्गुरु कुंचितिगा महासंस्थान मठ होसदुर्गा के जगद्गुरु श्री शांतावीरा महास्वामीजी, भोवी गुरुपीठ चित्रदुर्ग के जगद्गुरु श्री इम्मादी सिद्धरामेश्वर स्वामीजी, जगद्गुरु श्री बसवमूर्ति मदारा चेन्नईया महास्वामी सहित कई अन्य संत शामिल थे। 

राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 16 अगस्त को मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) जमीन आवंटन घोटाले के संबंध में सिद्दरामैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी, जिससे लगभग 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार को बड़ा झटका लगा है।

राज्यपाल ने कार्यकर्ता प्रदीप कुमार एसपी, टीजे अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा की याचिकाओं में उल्लिखित कथित अपराधों को अंजाम देने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत मंजूरी प्रदान की।

उच्च न्यायालय ने 19 अगस्त को जनप्रतिनिधियों के लिए विशेष अदालत को निर्देश दिया कि वह कथित घोटाले में मुख्यमंत्री के खिलाफ अपनी कार्यवाही 29 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई तक स्थगित कर दे।

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