.. नृपेंद्र अभिषेक ‘नृप’ ..
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यूक्रेन और रूस के बीच का संघर्ष 2014 में क्रीमिया के रूस द्वारा अधिग्रहण से शुरू हुआ और 2022 में पूर्ण युद्ध में बदल गया| इस युद्ध ने न केवल इन दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ाया है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर प्रभाव डाला है| इस बीच, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यूक्रेन दौरा वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में सामने आया है| इस दौरे के कई उद्देश्य हैं, जिनमें से प्रमुख है युद्ध को समाप्त करने के लिए मध्यस्थता की संभावना तलाशना और शांति स्थापना के लिए बातचीत को बढ़ावा देना| 1992 में राजनयिक रिश्तों की स्थापना के बाद ये किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला यूक्रेन दौरा है| पीएम मोदी का यूक्रेन दौरा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मॉस्को में उनकी मुलाकात के छह हफ्ते बाद हो रहा है जिसकी यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने खूब आलोचना की थी|
दौरे का क्या है उद्देश्य?
पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे का मकसद द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और विनाशकारी युद्ध क्षेत्र में शांति की वकालत करना है| व्यापार, वाणिज्य, शिक्षा और रक्षा सहयोग में यूक्रेन के साथ हमारे अच्छे रिश्ते हैं| 30 सालों पहले जब सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन एक नया देश बना और हमने उससे कूटनीतिक संबंध स्थापित किया, तब से ही यूक्रेन के साथ हमारे अच्छे रिश्ते हैं| इस यात्रा से संबंध और बेहतर होने की संभावना है|भारत यूक्रेन को और अधिक मानवीय मदद मुहैया कराएगा और यूक्रेन भी युद्ध के बाद निर्माण कार्य के लिए भारतीय कंपनियों को तवज्जो देगा|
भारत ने हमेशा गुटनिरपेक्षता की नीति का पालन किया है और यूक्रेन तथा रूस दोनों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखे हैं| मोदी का यह दौरा इसी नीति के तहत शांति स्थापना में एक मध्यस्थ की भूमिका निभाने के उद्देश्य से किया गया है| इस दौरे के माध्यम से भारत ने यह संकेत दिया है कि वह एक वैश्विक नेता के रूप में उभरने के लिए तैयार है जो न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित कर सकता है| युद्ध से प्रभावित क्षेत्रों में मानवीय सहायता पहुंचाने और यूक्रेन के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव भी इस दौरे का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य था|
यात्रा के दौरान हुई वार्ता:
नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान युद्ध विराम की आवश्यकता पर जोर दिया| उन्होंने कहा कि युद्ध से किसी का भी लाभ नहीं होता है और शांति स्थापना ही एकमात्र रास्ता है| मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच सीधे संवाद की आवश्यकता पर बल दिया और इसे संघर्ष को समाप्त करने का सबसे प्रभावी तरीका बताया| मोदी और ज़ेलेंस्की ने क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए आगे सहयोग पर सहमति व्यक्त की| मोदी ने बातचीत और कूटनीति की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि समाधान का रास्ता केवल बातचीत और कूटनीति के माध्यम से ही खोजा जा सकता है|
यूक्रेन में चल रहे युद्ध के कारण लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं और मानवीय संकट गहराता जा रहा है| मोदी ने यूक्रेन को मानवीय सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया और युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में सहायता भेजने की प्रतिबद्धता जताई| मोदी ने यूक्रेन को चार भीष्म क्यूब्स भेंट किए, जिनमें आपातकालीन उपचार और सर्जरी के लिए चिकित्सा उपकरण और आपूर्ति शामिल हैं| जेलेंस्की ने क्यूब्स की मानवीय सहायता के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया, जिससे घायलों के उपचार में तेजी आएगी और बहुमूल्य जीवन बचाने में मदद मिलेगी| प्रत्येक भीष्म क्यूब में सभी प्रकार की चोटों और चिकित्सा स्थितियों के लिए प्राथमिक देखभाल से जुड़ी दवाइयां और उपकरण शामिल हैं| साथ ही चिकित्सा सहयोग, कृषि सहयोग, मानवीय सहायता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान से संबंधित चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए|
भारत और यूक्रेन के बीच ऊर्जा, कृषि और प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा हुई| मोदी ने कहा कि भारत और यूक्रेन के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने की संभावनाएं हैं| भारत ने यूक्रेन के साथ इंडिया के तेल सौदे पर उनकी चिंताओं का जवाब दिया है| विदेश मंत्री के मुताबिक भारत ने यूक्रेन को मौजूदा तेल बाजार की स्थिति, भारत पर पड़ने वाले इसके असर, रूस से तेल खरीदने की भारत की रणनीतिक जरूरत और वर्ल्ड इकोनॉमी पर इसके असर को समझाया है|
क्या हो सकते हैं परिणाम:
यदि भारत अपने कूटनीतिक प्रयासों में सफल होता है, तो यह दौरा शांति प्रक्रिया में महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक हो सकता है| इससे दोनों देशों के बीच तनाव कम होने और बातचीत की एक नई राह खुलने की संभावना है| इस दौरे से भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत होगी और यह एक जिम्मेदार वैश्विक नेता के रूप में उभरेगा| भारत ने हमेशा शांति और संवाद का समर्थन किया है और यह दौरा उस नीति का प्रतीक है|
यदि भारत रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता करने में सफल होता है, तो यह दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है| इस दौरे के बाद, भारत और यूक्रेन के बीच मानवीय सहायता और आर्थिक सहयोग में वृद्धि हो सकती है, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे|
शांति बहाल करने में सफल होगा भारत?
नरेंद्र मोदी का यूक्रेन दौरा वैश्विक मंच पर एक साहसिक कदम है, लेकिन युद्ध को समाप्त करना केवल कूटनीतिक प्रयासों से संभव नहीं है| यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष एक जटिल और बहुआयामी मुद्दा है, जिसमें कई आंतरिक और बाहरी कारक शामिल हैं| हालांकि, मोदी का प्रयास इस संघर्ष में एक सकारात्मक दिशा प्रदान कर सकता है| उनकी मध्यस्थता की पेशकश और युद्ध विराम की अपील से दोनों पक्षों के बीच विश्वास का माहौल बन सकता है| यदि भारत इस दिशा में आगे बढ़ता है और रूस तथा यूक्रेन के बीच संवाद की प्रक्रिया को सुचारू करने में सफल होता है, तो यह एक बड़ी कूटनीतिक सफलता होगी|
यह कहना मुश्किल है कि नरेंद्र मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने में सफल होंगे या नहीं| यह युद्ध कई वर्षों से चला आ रहा है और इसमें कई जटिल मुद्दे शामिल हैं| हालांकि, मोदी के प्रयासों से यह संभव है कि दोनों पक्षों के बीच विश्वास बहाली हो और वे बातचीत की मेज पर आएं| भारत ने हमेशा शांति और संवाद का समर्थन किया है और इस दौरे के माध्यम से उसने इस नीति को और भी स्पष्ट रूप से सामने रखा है| यदि भारत रूस और यूक्रेन के बीच एक संवाद स्थापित करने में सफल होता है, तो यह शांति की दिशा में एक बड़ा कदम होगा|
रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की तटस्थ नीति और दोनों ही देशों के साथ अच्छे संबंधों को देखते हुए कई बार यह कहा गया कि भारत दोनों पक्षों को बातचीत की टेबल पर लाने का काम कर सकता है| हालांकि, युद्ध में अभी जो हालात हैं, उसे देखते हुए यह कह पाना बेहद मुश्किल है कि दोनों पक्ष बातचीत के लिए राजी होंगे| यूक्रेन के सैनिकों ने रूस के कुर्स्क इलाके में घुसपैठ कर ली है|
नरेंद्र मोदी का यूक्रेन दौरा एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक प्रयास है जो वैश्विक शांति और स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकता है| हालांकि, युद्ध को समाप्त करना और शांति की स्थापना करना एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन मोदी का यह दौरा एक महत्वपूर्ण शुरुआत है| यह दौरा इस बात का प्रमाण है कि भारत न केवल अपने क्षेत्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, बल्कि वैश्विक मुद्दों पर भी सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है| आगे का रास्ता मुश्किल हो सकता है, लेकिन अगर भारत अपने कूटनीतिक प्रयासों में सफल होता है, तो यह दौरा वैश्विक शांति और सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है| हालांकि, यह सब इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत, रूस, और यूक्रेन किस हद तक अपने मतभेदों को दूर कर एक साझा समाधान की दिशा में आगे बढ़ते हैं|