.. बाल मुकुंद ओझा ..
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विश्व नारियल दिवस हर साल २ सितंबर को मनाया जाता है| नारियल दिवस की 2014 की थीम चक्रीय अर्थव्यवस्था के लिए नारियल: अधिकतम मूल्य के लिए साझेदारी का निर्माण रखी गई है| इस दिवस का उद्देश्य लोगों को नारियल के महत्व और उपयोग के बारे में जागरूक करना और नारियल के उद्योग को कच्चे माल के रूप में उपयोग किए जाने को प्रोत्साहन देना है| इस दिवस को एशियाई प्रशांत नारियल समुदाय के गठन की याद में मनाया जाता है| यह एक संगठन है, जिसमें 18 सदस्य हैं| भारत इसका संस्थापक सदस्य है|
नारियल हर तरह से हमारे लिए उपयोगी है| भारत के घर घर में नारियल मिल जायेगा| नारियल का महत्व केवल पूजा पाठ ही नहीं बल्कि पौष्टिकता के साथ ही स्वास्थय लाभ के लिए होता है| नारियल के पेड़ को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है| इसका पौधा एक बार लगाने के बाद 80 साल से भी ज़्यादा समय तक फल देता है| इसके पेड़ की ख़ासियत है कि इसका हर हिस्सा उपयोगी है| नारियल की खेती किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है| इसका फल जब कच्चा होता है तो उसे नारियल पानी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है| पक जाने पर पूजा-पाठ से लेकर मिठाई और कई व्यंजनों में इसका इस्तेमाल होता है| नारियल एक ऐसा फल है जिसके प्रत्येक भाग को हम अलग-अलग तरह से उपयोग कर सकते हैं| नारियल या नारियल का तेल सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है| नारियल खाने से जहां आप कई रोगों से बचे रहते हैं, तो वहीं नारियल तेल बालों और स्किन की खूबसूरती बढ़ाने में काफी मददगार होता है| नारियल की चटनी, नारियल की बर्फी हमारे यहॉं बहुतायत से बनती है| यह एक ऐसा फल है जो कि न केवल सारे वर्ष उपलब्ध रहता है बल्कि जरूरत पड़ने पर हमारी भूख-प्यास भी मिटा देता है| यह श्रीफल के रूप में प्रयोग किया जाता है| देवी देवताओं और प्रत्येक शुभ कार्यों में हम नारियल का उपयोग करते है,इसी से पत्ता चलता है हमारे जीवन में नारियल का कितना महत्त्व है| पॉलिथीन का विकल्प नारियल हो सकता है| पॉलिथीन को हटाकर हम नारियल की जटा से बने थैलों का उपयोग कर सकते हैं| इससे प्लास्टिक कचरे से हम मुक्त हो सकते है|
भारत विश्व में नारियल गरी के उत्पादन और उत्पादकता में नंबर एक स्थान पर है| यह मुख्य रूप से 12 तटीय राज्यों में उगाया जाता है| देश के दक्षिणी राज्यों केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में देश के 90 फीसद नारियल की सघन खेती की जाती है| कर्नाटक, गुजरात और राजस्थान के जयपुर में इसकी काफी बड़ी मंडिया है| केरल और गुजरात की मंडी काफी दूर हैं| वहां से भाड़ा अधिक पड़ता है| इसलिए इन राज्यों से जयपुर की मंडी में भी माल आता है| कई बड़े-बड़े शहरों के अंदर हजारों लाखों में नारियल की खपत होती है| वैश्विक उत्पादन में 30.93 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ भारत सबसे बड़ा नारियल उत्पादक देश है, और उत्पादकता के मामले में दूसरे स्थान पर है| वर्ष 21-22 में नारियल का 4,210.87 टन उत्पादन हुआ|
विश्व में नारियल को उत्पादन करने वाले देशों की सूची में भारत के अलावा इंडोनेशिया, ब्राजील, श्रीलंका और फिलींपींस जैसे देश है| इसके अलावा फिजी, पपुआ न्यू गिनी, केन्या, थाईलैंड, मार्शल आइलैंड में यह भारी मात्रा में पैदा होता है. यहां से देश विदेश में आयात निर्यात होते है|
नारियल की खेती हमारे देश में लगभग एक करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करती है| देश के चार दक्षिणी प्रदेश केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में नारियल की सघन खेती की जाती है| देश का 90 प्रतिशत तक नारियल यहीं से प्राप्त किया जाता है| यह नमकीन मिट्टी में समुद्र के किनारे उगाया जाता है| नारियल-पानी पौष्टिक एवं स्वास्थ्यवर्द्धक होता है| गर्मी के मौसम में नारियल-पानी पीकर हम अपनी प्यास बुझाते हैं| जब नारियल पकता है, तो इसमें अंदर से सफेद नारियल का फल प्राप्त होता है| यह पूजा में काम आता है| सफेद नारियल हम कच्चा भी खाते हैं| मिठाई और कई पकवान बनाने में भी इस्तेमाल करते हैं| नारियल के रेशों से गद्दे, थैले तथा और भी कई प्रकार की उपयोगी चीजें बनाई जाती हैं| नारियल को विभिन्न प्रकार से उपयोग कर हम भिन्न-भिन्न वस्तुएँ बनाते हैं और देश के साथ-साथ दुनिया के अन्य देशों में इनका व्यापार भी करते हैं| इससे बनी वस्तुओं के निर्यात से भारत को हर साल हजारों करोड़ रुपये की आमदनी होती है| नारियल का उपयोग धार्मिक कर्मकांडों में भी किया जाता हैं| भारत में इस लिए यह पवित्र माना गया है| स्वास्थ्य की दृष्टि से नारियल को बहु उपयोगी माना जाता है| विभिन्न बीमारियों के उपचार में नारियल का अहम योगदान है| नारियल के पानी को पीने से डायरिया, डेंगू, चिकुनगुनिया, जैसी बीमारियों में राहत मिलती है|