नई दिल्ली/दक्षिण भारत। भारत ने सूखा प्रभावित मलावी को मानवीय सहायता के रूप में 1,000 मीट्रिक टन चावल भेजा है। यह दक्षिण-पूर्वी अफ्रीकी देश सूखे से पीड़ित है, जिससे फसलों को भारी नुकसान हुआ है। इससे खाद्य उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'मलावी के लोगों के साथ एकजुटता में मानवीय सहायता। अल नीनो घटना के कारण पैदा हुए गंभीर सूखे के नतीजों से निपटने के लिए 1,000 मीट्रिक टन चावल की एक खेप मलावी के लिए रवाना हुई।'
बता दें कि पहले मलावी न्यासालैंड के नाम से जाना जाता था। इसकी सीमाएं जांबिया, तंजानिया, और मोजांबिक से लगती हैं। 118,484 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले इस देश की आबादी 19.43 करोड़ है।
मलावी को दुनिया के सबसे कम विकसित देशों में शामिल किया जाता है। इसकी लगभग 85 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। यहां उद्योग-धंधों की हालत कमजोर है और ज्यादातर लोग खेती पर ही आश्रित है। इस तरह सकल घरेलू उत्पाद का एक तिहाई से ज़्यादा और निर्यात राजस्व का 90 प्रतिशत खेती से आता है।
इस बार यहां भयंकर सूखे के हालात हैं, जिससे खेती चौपट हो गई और लोगों के सामने भोजन का संकट पैदा हो गया। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि मलावी में आए इस संकट की एक बड़ी वजह यहां की बड़ी आबादी है। इस देश के पास संसाधन कम हैं, जबकि जनसंख्या उच्च दर के साथ बढ़ रही है।
अगर मलावी में लोगों की आस्था की बात करें तो यहां 77.3 प्रतिशत लोग ईसाई धर्म के अनुयायी हैं। वहीं, 13.8 प्रतिशत लोग इस्लाम को मानते हैं। 1.1 प्रतिशत लोग परंपरागत आस्थाओं का पालन करते हैं। 7.8 प्रतिशत लोग दूसरे धर्मों या किसी भी धर्म में विश्वास नहीं रखने वाले हैं।