उम्मीदों के टूटने जैसा है विनेश का राजनीति में जाना

विनेश की पहचान एक मजबूत और निडर खिलाड़ी के रूप में है

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नृपेन्द्र अभिषेक नृप
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विनेश फोगाट, एक ऐसा नाम जिसे कुश्ती की दुनिया में खास पहचान मिली है| वह भारतीय महिला कुश्ती की सबसे चमकदार सितारों में से एक हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर चुकी हैं| अपनी मेहनत, संघर्ष, और समर्पण के चलते उन्होंने न सिर्फ कुश्ती के मैदान में सफलता पाई बल्कि करोड़ों भारतीयों के दिलों में जगह बनाई| पेरिस ओलंपिक में तो उन्हें वैश्विक स्तर पर प्यार मिला| लेकिन हाल ही में उनके राजनीति में प्रवेश करने से कुछ खेल प्रेमियों के बीच निराशा और असंतोष की भावना भी देखने को मिली है| विनेश फोगाट का नाम कुश्ती की दुनिया में बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है| हरियाणा के फोगाट परिवार से ताल्लुक रखने वाली विनेश, जिन्होंने कुश्ती की विरासत को आगे बढ़ाया और कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन किया| 2014 के राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद, विनेश ने लगातार अपना प्रदर्शन सुधारते हुए विश्व कुश्ती चैंपियनशिप और एशियाई खेलों में भी अपनी जगह बनाई|

विनेश की पहचान एक मजबूत और निडर खिलाड़ी के रूप में है, जिन्होंने कभी हार नहीं मानी, चाहे उनके सामने कितनी भी मुश्किलें क्यों न आई हों| 2016 के रियो ओलंपिक में घुटने की गंभीर चोट के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और इसके बाद उन्होंने जबरदस्त वापसी की| उनकी इस यात्रा ने उन्हें देशभर में एक प्रेरणास्रोत बना दिया, खासकर उन लड़कियों के लिए जो खेल में करियर बनाने का सपना देखती हैं| हालांकि, विनेश फोगाट का राजनीति में जाना एक ऐसा कदम है जिसने कई खेल प्रेमियों को आश्चर्यचकित कर दिया है| राजनीति और खेल के बीच संबंध नया नहीं है; कई खेल सितारे राजनीति में गए हैं| लेकिन विनेश फोगाट के राजनीति में प्रवेश ने खेल प्रेमियों को भावनात्मक रूप से प्रभावित किया है क्योंकि उन्हें यह उम्मीद थी कि वह आने वाले समय में भी देश के लिए और पदक जीतेंगी|

विनेश का राजनीति में जाना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके पास खेल और सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूकता है| उनका यह कदम राजनीति में सकारात्मक बदलाव लाने का हो सकता है| वह खेल, महिला सशक्तिकरण, और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर काम कर सकती हैं| लेकिन इस बदलाव से जो लोग उनकी कुश्ती की सफलता और भविष्य की उम्मीदों से जुड़े थे, उन्हें भारी निराशा हुई है| कुश्ती प्रेमियों और फैंस के लिए यह खबर किसी सदमे से कम नहीं थी| वे विनेश को आने वाले ओलंपिक और अन्य महत्वपूर्ण प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए देखना चाहते थे| कई लोग मानते हैं कि विनेश की उम्र और अनुभव उन्हें और अधिक पदक जिताने के लिए उपयुक्त बनाते हैं| उनके राजनीति में जाने से लोगों को यह चिंता सताने लगी है कि वे अब खेल से दूर हो जाएंगी और देश का एक बड़ा खेल प्रतिभा खो देगा|

खेल में विनेश की जगह कोई और ले सकता है, लेकिन उनकी खास पहचान और जुनून की बराबरी करना मुश्किल है| उनके फैंस, जो उन्हें खेल के मैदान पर देखना चाहते थे, खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं| विशेषकर उन युवा खिलाड़ियों के लिए, जो विनेश को अपना आदर्श मानते थे, यह एक बड़ा झटका है|  विनेश का राजनीति में प्रवेश सकारात्मक बदलाव की दिशा में देखा जा सकता है, यदि वह अपनी पहचान और अनुभव का उपयोग सामाजिक कल्याण और विकास के लिए करें| खेल और राजनीति दोनों ही समाज पर गहरा प्रभाव डालते हैं, और विनेश का यह कदम कई मायनों में एक नई शुरुआत हो सकती है|  हालांकि, सवाल यह है कि क्या यह सही समय था? क्या विनेश को पहले खेल में अपने करियर को और आगे बढ़ाना चाहिए था, और फिर राजनीति में प्रवेश करना चाहिए था? यह सवाल आज कई लोगों के मन में है| उनके इस फैसले ने उनके फैंस को निराश किया है, लेकिन अगर वे राजनीति में भी उसी मेहनत और समर्पण से काम करेंगी, जैसा उन्होंने कुश्ती में किया है, तो शायद समय के साथ लोग उनके इस कदम को भी सराहना शुरू कर दें|

विनेश फोगाट का कुश्ती से राजनीति में जाना एक बड़ा बदलाव है, जो खेल प्रेमियों और उनके फैंस के लिए भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण है| उनकी सफलता की कहानी ने करोड़ों दिलों को छुआ है, और उनके इस फैसले ने उन दिलों को तोड़ भी दिया है| फिर भी, यह देखना दिलचस्प होगा कि वह राजनीति के क्षेत्र में कैसे काम करती हैं और क्या उनके इस नए सफर से देश को सकारात्मक लाभ मिलेंगे| आखिरकार, विनेश फोगाट का फैसला उनका निजी है, और हम सभी को उम्मीद है कि वे जिस भी क्षेत्र में जाएं, वहां भी अपनी चमक बिखेरेंगी, जैसा उन्होंने खेल के मैदान में किया है|

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