हमारी जिंदगानी में घुलमिल गया है प्लास्टिक कचरा

कचरा पूरी दुनिया के लिए एक वैश्विक समस्या है

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बाल मुकुन्द ओझा
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एक ताज़ा शोध रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनियाभर में भारत में सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा निकलता है| ब्रिटेन के लीड्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक दुनिया हर साल 5.7 करोड़ टन प्लास्टिक प्रदूषण पैदा करती है| शोध के मुताबिक भारत दुनिया में प्लास्टिक कचरे का सबसे अधिक उत्पादन करता है| यहां एक साल में 1.02 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है, जो दूसरे सबसे बड़े प्लास्टिक कचरा उत्पादक के मुकाबले दो गुना से भी अधिक है| शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए दुनिया भर के 50 हजार से अधिक शहरों और कस्बों में स्थानीय स्तर पर उत्पादित कचरे की जांच की है| इस अध्ययन के दौरान ऐसे प्लास्टिक की जांच की गई जो खुले वातावरण में जाता है|  दुनिया की १५ प्रतिशत आबादी से सरकार प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने और निपटाने में विफल रहती है, वहीं इस 15 फीसदी आबादी में भारत के 25.5 करोड़ लोग शामिल हैं|

कचरा पूरी दुनिया के लिए एक वैश्विक समस्या है| भारत की बात करें तो आज घर घर में प्लास्टिक ने अपना कब्ज़ा जमा लिया है| कचरा में प्लास्टिक सबसे खतरनाक माना जाता है| प्लास्टिक कचरा से हर देश परेशान है| सरकार के लाख प्रतिबंदों के बावजूद हमारा फ्री प्लास्टिक का सपना पूरा नहीं हो रहा  है और इसका एक मात्र कारण इसका सस्ता, टिकाऊ और हल्का होना है| पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध के बाद भी  इसका असर दिखाई नहीं दे रहा है| हर जगह पॉलीथिन का उपयोग हो रहा है| किराना सामान खरीदना हो या फिर सब्जी, फल हों या अन्य सामग्री, हर जगह अमानक स्तर की पॉलीथिन उपयोग की जा रही है|  

पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान प्लास्टिक कचरा से पहुंचता है| एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल औसतन 25 मिनट तक होता है| प्लास्टिक की थैलियों को नष्ट होने में एक शताब्दी से 500 वर्ष तक का समय लगता है| दुनिया भर में हर मिनट दस लाख प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल होता है| अस्सी प्रतिशत समुद्री कूड़ा-कचरा प्लास्टिक है| संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, हर साल लाखों टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है जो हमारे पर्यावरण को प्रभावित करता है| पैकेजिंग क्षेत्र दुनिया में एकल उपयोग प्लास्टिक कचरे का सबसे बड़ा उत्पादक है| उत्पादित प्लास्टिक का लगभग 36 प्रतिशत पैकेजिंग में उपयोग किया जाता है, जिनमें से 85 प्रतिशत लैंडफिल या कुप्रबंधित कचरे के रूप में समाप्त हो जाते हैं| 

औद्योगिक क्षेत्र से 100 मिलियन पाउंड का प्लास्टिक समुद्र में प्रवेश करता है| कपड़ों में बनी 60 प्रतिशत सामग्री प्लास्टिक है| अकेले कपड़े धोने से हर साल लगभग 5000000 टन प्लास्टिक माइक्रोफाइबर समुद्र में छोड़े जाते हैं| इससे पता चलता है कि हमें अपने पर्यावरण को प्लास्टिक प्रदूषण से बचाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी|केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आगामी एक जुलाई से प्लास्टिक के बने तमाम उपयोगी सामान जैसे पॉलिथीन, गिलास, कांटे-चम्मच, कप, प्लेट समेत तमाम चीजों के उपयोग पर बैन करने का निर्णय किया है| पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले प्लास्टिक के झंडों से लेकर ईयरबड तक पर एक जुलाई से पाबंदी होगी| वर्तमान में बंदिश के बावजूद हर जगह उपलब्ध होने वाली पॉलीथिन पूरे जीव-जगत पर संकट खड़ा कर रही है| फिर भी लोग इसके उपयोग से गुरेज नहीं कर रहे हैं| यह पर्यावरण के साथ पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए घातक है| गली-कूचों से लेकर हर ओर पॉलीथिन फेंके पड़े रहते हैं|  

पीने के पानी से लेकर खाने की प्लेट तक प्लास्टिक हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन गया है| प्लास्टिक सस्ता और आसानी से उपलब्ध होने वाला विकल्प है| इसलिए हमारी रोजमर्रा की चीजें या तो प्लास्टिक से बनी होती हैं या उनके निर्माण में प्लास्टिक की भूमिका होती है| केन्द्रीय पर्यावरण नियन्त्रण बोर्ड के एक अध्ययन के मुताबिक एक व्यक्ति एक साल में 6 से 7 किलो प्लास्टिक कचरा बिखेरता है| इस प्लास्टिक कचरे से नालियां बंद हो जाती है, धरती की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है, भूगर्भ का जल अपेय बन जाता है, रंगीन से कैंसर जैसे असाध्य रोग हो जाते हैं| आज वैश्विक स्तर पर प्रतिव्यक्ति प्लास्टिक का उपयोग जहां 18 किलोग्राम है वहीं इसका रिसायक्लिगं मात्र 15.2 प्रतिशत ही है| प्लास्टिक प्रदूषण मानव जीवन के समक्ष एक बड़े खतरे के रूप में उभरा है|

वर्तमान में प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर  समस्या बन गया है| दुनिया भर में अरबों प्लास्टिक के बैग हर साल फेंके जाते हैं| ये प्लास्टिक बैग नालियों के प्रवाह को रोकते हैं और आगे बढ़ते हुए वे नदियों और महासागरों तक पहुंचते हैं| चूंकि प्लास्टिक स्वाभाविक रूप से विघटित नहीं होता है इसलिए यह प्रतिकूल तरीके से नदियों, महासागरों आदि के जीवन और पर्यावरण को प्रभावित करता है| प्लास्टिक प्रदूषण के कारण लाखों पशु और पक्षी  मारे जाते हैं जो पर्यावरण संतुलन के मामले में एक अत्यंत चिंताजनक पहलू है| आज हर जगह प्लास्टिक दिखता है जो पर्यावरण को दूषित कर रहा है| जहां कहीं प्लास्टिक पाए जाते हैं वहां पृथ्वी की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है और जमीन के नीचे दबे दाने वाले बीज अंकुरित नहीं होते हैं तो भूमि बंजर हो जाती है| प्लास्टिक नालियों को रोकता है और पॉलीथीन का ढेर वातावरण को प्रदूषित करता है| चूंकि हम बचे खाद्य पदार्थों को पॉलीथीन में लपेट कर फेंकते हैं तो पशु उन्हें ऐसे ही खा लेते हैं जिससे जानवरों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है यहां तक कि उनकी मौत का कारण भी|

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