बीडीए सीमा में प्रॉपर्टी के लिए ई-खाता हुआ अनिवार्य

गलत तरीके से प्रॉपर्टी के लेनदेन पर अंकुश लगाने में भी मदद मिलेगी

Photo: Bangalore Development Authority

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। बेंगलूरु विकास प्राधिकरण (बीडीए) के अधिकार क्षेत्र में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए ई-खाते की अनिवार्यता शुक्रवार से लागू होगी। यह कदम खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए उठाया जा रहा है। इससे गलत तरीके से प्रॉपर्टी के लेनदेन पर अंकुश लगाने में भी मदद मिलेगी।

इस प्रक्रिया में ई-खाते से अधिक पारदर्शिता लाने की कोशिश की जा रही है, जिसके लिए स्टांप एवं पंजीयन विभाग के कावेरी-2 सॉफ्टवेयर पर सभी लेनदेन के संबंध में संपत्ति पहचान संख्या के साथ बीडीए ई-खाता की जरूरत होगी।

लेना होगा ई-खाता 

इसके बारे में अधिक जानकारी देते हुए एक अधिकारी ने बताया कि विक्रेता को प्रॉपर्टी का लेनदेन पूरा करने और उसे खरीदार के नाम पर रजिस्टर कराने के लिए ई-खाता लेना होगा। इसके बाद प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। 

उन्होंने बताया कि इससे खरीदारों के हितों की रक्षा प्रभावी ढंग से हो सकेगी। वहीं, प्रॉपर्टी के लेनदेन में फर्जीवाड़े की घटनाओं पर काफी हद तक लगाम लगेगी। ई-खाते से दस्तावेजों की प्रामाणिकता की पुष्टि हो सकेगी। इस तरह शुरुआती चरण में ही दस्तावेजों की असलियत का पता लगाया जा सकेगा। 

बताया गया कि ई-खाता बीडीए द्वारा विकसित प्रॉपर्टी और बीडीए द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में मंजूर निजी लेआउट, दोनों के लिए अनिवार्य होगा।

पालन करना अनिवार्य होगा

इस प्रणाली को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए नए प्रोजेक्ट या लेआउट निर्माण में शामिल डेवलपर्स को योजना की मंजूरी और उसके बाद ई-खाता हासिल करने के लिए बीडीए द्वारा निर्धारित कानूनी जरूरतों का पालन करना अनिवार्य होगा। इससे अनाधिकृत लेआउट के लिए मुश्किलें होंगी। ई-खाते के बिना लेनदेन और रजिस्ट्रेशन नहीं होगा।

बता दें कि ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के अधिकार क्षेत्र के तहत प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन और भूमि सिस्टम के तहत कृषि भूमि रजिस्ट्रेशन के लिए ई-खाता अनिवार्य किया जा चुका है। अब इसका बीडीए सीमा तक विस्तार किया गया है।

भविष्य में यह जरूरत बीबीएमपी के अंतर्गत आने वाली प्रॉपर्टी पर भी लागू होगी। अभी लगभग 45 वार्डों की संपत्तियों में ई-खाता है। जब सभी वार्डों में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी तो ई-खाता अनिवार्यता का बीबीएमपी प्रॉपर्टी तक भी विस्तार किया जाएगा। अब देखना यह है कि उक्त प्रणाली खरीदारों के हितों की रक्षा करने में कितनी सक्षम साबित हो पाएगी।

About The Author: News Desk